स्वतंत्रता सेनानी राम प्रताप यादव की प्रतिमा का हुआ अनावरण

डुमरा प्रखंड के भूपभैरो में स्वतंत्रता सेनानी जेपी सेनानी सह पंचायत के प्रथम मुखिया स्व. राम प्रताप यादव की प्रतिमा का अनावरण किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Nov 2019 11:33 PM (IST) Updated:Sun, 17 Nov 2019 11:33 PM (IST)
स्वतंत्रता सेनानी राम प्रताप यादव की प्रतिमा का हुआ अनावरण
स्वतंत्रता सेनानी राम प्रताप यादव की प्रतिमा का हुआ अनावरण

सीतामढ़ी। डुमरा प्रखंड के भूपभैरो में स्वतंत्रता सेनानी, जेपी सेनानी सह पंचायत के प्रथम मुखिया स्व. राम प्रताप यादव की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस अवसर पर भूपभैरो स्थित स्वतंत्रता सेनानी के आवासीय परिसर में आयोजित समारोह में नगर विधायक सुनील कुमार, पूर्व सांसद सीताराम यादव, पूर्व मंत्री सूर्यदेव राय, विधान पार्षद दिलीप राय, रामेश्वर महतो, परिहार विधायक गायत्री देवी, पूर्व विधायक परिहार रामनरेश यादव, जिप अध्यक्ष उमा देवी, पूर्व विधान परिषद दिलीप राय, पूर्व जिप अध्यक्ष उषा किरण यादव, राजद जिलाध्यक्ष श़फी़क खान, युवा राजद के राष्ट्रीय महासचिव सह जिप सदस्य चंद्रजीत यादव, भूपभैरो मुखिया गीता देवी, पूर्व मुखिया महेंद्र यादव, राजद नेता मोहन कुमार प्रियदर्शी, रामकृष्ण महतो, जिप सदस्य भरत महतो, पूर्व मुखिया नागेन्द्र सिंह, महंथ सिंह, डुमरा प्रखंड राजद अध्यक्ष नंदलाल यादव, स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र विकास रंजन, विक्रम रंजन, विवेक रंजन व विनय रंजन समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे। बताते चलें कि स्वतंत्रता सेनानी राम प्रताप यादव का जन्म 14 नवंबर 1927 को डुमरा प्रखंड के भूपभैरो पंचायत में हुआ था। महज 15 वर्ष की उम्र में वह स्वाधीनत संग्राम में कूद गए। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आजादी के बाद उन्होंने समाजिक कार्यों में योगदान दिया। शिक्षा, स्वच्छता, छुआछूत व सामंतवादी जैसे मुद्दों पर कार्य किया। समाज के प्रति समर्पण और त्याग को देखते हुए लोगों ने वर्ष 1953 में उन्हें निर्विरोध मुखिया चुना। तब भूपभैरो, भैरोकोठी, शिवमहमदपुर, बरियारपुर और मोहनपुर आदि पांच गांवों को मिलाकर एक पंचायत बना था। वह अपने पंचायत में खुद सफाई अभियान चलाते थे। जनता की समस्याओं के समाधान के लिए जनता दरबार लगाते थे। वर्ष 1958 में वे दोबारा निर्विरोध मुखिया चुने गए। अपनी पैतृक जमीन दान देकर भूपभैरो में मध्य विद्यालय की स्थापना कराई। भूपभैरो में राम जानकी मंदिर का निर्माण कराया। 15 जून 1975 को देश में जब आपातकाल लगाया गया तब डीआई.आर के तहत उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया। आपातकाल हटने के बाद वह जेल से रिहा हुए। सामाजिक सदभाव के प्रति वह लगातार समर्पित रहे। यही वजह हैं कि इलाके के लोग उन्हें आज भी शिद्दत से याद करते हैं।

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