रेलवे ट्रैक के पास सज रही पाठशाला, खतरे में नौनिहालों की ¨जदगी

सूबे की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Dec 2018 01:30 AM (IST) Updated:Tue, 18 Dec 2018 01:30 AM (IST)
रेलवे ट्रैक के पास सज रही पाठशाला, खतरे में नौनिहालों की ¨जदगी
रेलवे ट्रैक के पास सज रही पाठशाला, खतरे में नौनिहालों की ¨जदगी

सीतामढ़ी। सूबे की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे है। सरकार और शिक्षा विभाग अभियान दर अभियान चला रही है। बावजूद इसके व्यवस्था की बदहाली सरकार के प्रयासों पर पानी फेर रही है। शिक्षा व्यवस्था की बदहाली की यह तस्वीर कही सुदूर ग्रामीण इलाकों की नहीं है बल्कि जिला मुख्यालय डुमरा से महज डेढ़ किमी की दूरी पर स्थित मध्य विद्यालय धर्मपुर की है। इस स्कूल के तकरीबन पौने तीन सौ बच्चों की ¨जदगी और सेहत दोनों खतरे में है। संसाधनों के अभाव का दंश झेल रहे इस स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों की पाठशाला रेलवे ट्रैक के किनारे सज रही है तो पेयजल के लिए बच्चों में कोहराम की स्थिति है। सबसे बड़ी परेशानी बच्चों को मध्याह्न भोजन में हो रही है। मध्याह्न भोजन करने के बाद बच्चों को पानी पीने के लिए तीन घंटे इंतजार करना पड़ता है। बच्चे भोजन स्कूल में करते हैं और पानी घर जा कर पीते हैं। पिछले दो साल से स्कूल की यही स्थिति है। कुछ बच्चे स्कूल के बालू उगल रहे चापाकल का पानी भी पी लेते हैं। जबकि रसोइया भोजन बनाने के लिए लंबी दूरी तय कर गांव के किसी अन्य व्यक्ति के घर से पानी लाकर भोजन बनाती है। उधर, जगह के अभाव में पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों की क्लास रेलवे ट्रैक के किनारे सजती है। इसके चलते हादसों की आशंका बनी रहती है। वर्ष 1988 में हुई थी स्कूल की स्थापना

सीतामढ़ी : डुमरा प्रखंड के धर्मपुर गांव में शिक्षित समाज की स्थापना के उद्देश्य से वर्ष 1988 में सीतामढ़ी-दरभंगा रेलखंड से ठीक सटे पीलर संख्या 98/5 के ठीक पास मध्य विद्यालय धर्मपुर की स्थापना की गई थी। इस स्कूल में धर्मपुर और भूपभैरो खाप टोला समेत आसपास के बच्चे पढ़ाई करते है। इस स्कूल में एचएम समेत 8 शिक्षकों की तैनाती है। इनमें एक शिक्षक सीआरसीसी के प्रभार में है। स्कूल का पुराना भवन ध्वस्त हो कर रह गया है। पुराने भवन में एमडीएम का किचेन चलता है। कुछ साल पूर्व स्कूल में चार कमरों वाला दो मंजिला भवन बना है। जिसमें तीसरी से छठी कक्षा के बच्चों की क्लास ली जाती है। स्कूल के पास न तो कैम्पस है और नहीं चहारदीवारी। जगह के अभाव में पहली और दूसरी कक्षा की पाठशाला रेलवे की जमीन में रेलवे ट्रैक से ठीक सटे सजती है। जहां बच्चे जमीन पर तिरपाल बिछा कर शिक्षार्जन करते है। इस दौरान सवारी गाड़ी और मालवाहक गाड़ियों की आवाजाही बच्चों के ध्यान को प्रभावित करती है। वहीं हादसों की आशंका रहती है। चुकि बच्चे अनुशासित और शिक्षक अलर्ट रहते है, लिहाजा अब तक बच्चे हादसों की चपेट में नहीं आ सके हैं। इस स्कूल में एक मात्र चापाकल है। लेकिन दो साल से इस चापाकल से पानी के साथ बालू निकल रहा है। शिक्षक समेत ग्रामीण लगातार एक अदद चापाकल के लिए गुहार लगा रहे है, लेकिन किसी ने भी चापाकल नहीं दी। हालत यह है कि बच्चे बालू वाला पानी पीने को मजबूर है। सबसे अधिक परेशानी मध्याह्न भोजन के दौरान होती है। बच्चे भोजन करने के बाद तीन घंटे तक इंतजार करते है और घर पहुंच कर पानी पीते है। स्कूल के शिक्षक राम सागर मंडल भी मानते है कि स्कूल में पेयजल बड़ी परेशानी बन कर उभरी है। जबकि राकेश, नवीन, अर्जुन और संजय आदि छात्र बताते है कि पानी पीने के लिए उन्हें घर जाना पड़ता है। स्कूल में काफी समय से चापाकल खराब है। स्कूल के स्थानांतरण की मांग

सीतामढ़ी : मुख्यालय डुमरा से ठीक सटे मध्य विद्यालय धर्मपुर में भूमि-भवन का अभाव है। चार कमरों में यह स्कूल चल रहा है। स्कूल के करीब से रेलवे ट्रैक गुजरने के चलते हादसों की आशंका बनी रहती है। यहीं कारण है कि ग्रामीण इस स्कूल के स्थानांतरण की मांग कर रहे है। परसौनी निवासी विमलेश कुमार झा के अनुसार गांव से सटे संस्कृत हाईस्कूल है। जो बंद हो चुकी है। संस्कृत स्कूल के पास सवा बीघा जमीन है। बताते है कि मध्य विद्यालय धर्मपुर को संस्कृत हाईस्कूल में शिफ्ट करा कर तमाम परेशानियों से मुक्ति पाया जा सकता है। विमलेश कुमार झा ने डीएम का ध्यान आकृष्ट कराते हुए स्कूल का स्थानांतरण कराने की मांग की है। बोले अधिकारी :::::

उक्त स्कूल में मनरेगा के तहत शीघ्र चहारदीवारी का निर्माण कराया जाएगा। चापाकल को भी दो दिनों के भीतर दुरुस्त कराया जाएगा। मामला संज्ञान में नहीं आने के कारण ही अब तक चापाकल खराब रहा है। स्कूल का निरीक्षण कर व्यवस्था का जाएजा लिया जाएगा : डॉ. अमरेंद्र पाठक, बीइओ, डुमरा।

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