प्रत्येक 800 में एक बच्चा डाउन सिड्रोम दिव्यांग, फिजियोथैरेपी कारगर : डॉ. राजेश

सीतामढ़ी । डाउन सिड्रोम बच्चों की एक गंभीर समस्या है जिससे उनका शारीरिक विकास आम बच्चों की तरह नहीं हो पाता।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Mar 2021 12:23 AM (IST) Updated:Mon, 22 Mar 2021 12:23 AM (IST)
प्रत्येक 800 में एक बच्चा डाउन सिड्रोम दिव्यांग, फिजियोथैरेपी कारगर : डॉ. राजेश
प्रत्येक 800 में एक बच्चा डाउन सिड्रोम दिव्यांग, फिजियोथैरेपी कारगर : डॉ. राजेश

सीतामढ़ी । डाउन सिड्रोम बच्चों की एक गंभीर समस्या है, जिससे उनका शारीरिक विकास आम बच्चों की तरह नहीं हो पाता। उनका दिमाग भी सामान्य बच्चों की तरह काम नहीं करता। कई बार उनके व्यक्तित्व में कुछ विकृतियां दिखाई देती हैं, लेकिन फिजियोथेरेपी, प्यार और अच्छी देखभाल से ऐसे बच्चों को सामान्य जीवन दिया जा सकता है। विश्व डाउन सिड्रोम दिवस के अक्सर पर दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य कर रही राष्ट्रीय न्यास से

निबंधित जिले कि संस्था आरोग्या फाउंडेशन फॉर हेल्थ प्रमोशन एवं कम्युनिटी बेस्ड रिहैबिलिटेशन ने जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। डुमरा रोड में संचालित दिव्यांगन के निदेशक सह फिजियोथेरेपिस्ट चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार सुमन ने बताया कि सामान्य जनसंख्या में डाउन सिड्रोम की संभावना 800 में से 1 में होती है। मनोवैज्ञानिक परामर्शी मधुरिमा रानी ने बताया कि डाउन सिड्रोम के बच्चे देखने में साधारण बच्चों से भले ही अलग लगे, लेकिन उनमें भी वही बचपना, समझ होती है, कुछ चीजें समझने में उन्हें थोड़ा ज्यादा वक्त लगे, लेकिन उन्हें कमजोर समझना गलत है। यह बच्चे साधारण रूप से खेलकूद सकते हैं लेकिन उनका दिल नाजुक होता है, इनमें ह्रदय रोग की संभावना ज्यादा होती है, कमजोर आंखे एवं सुनने में भी परेशानी होती है। डाउन सिड्रोम से पीड़ित तनय परमार कि माता विनीता सिंह ने अन्य अभिभावकों को प्रेरित करते हुए बताया कि दिव्यांगों के लिए परेशानियां तो बहुत हैं लेकिन उनके माता-पिता उन्हें उत्साहित करें, प्यार दे एवं सकारात्मक रवैया अपनाएं तो यह परेशानी खत्म हो सकती है। मौके पर बच्चों के बीच केक काटा गया साथ ही मिठाई बिस्किट बांटे गए। संस्था मे कार्य कर रहे डॉ. मानवी, राहुल कुमार, बबन कुमार, अमित कुमार, बुनियाद केंद्र पुपरी के मनीष कुमार, सौम्या, आर्जव समेत दर्•ानो दिव्यांग बच्चे उनके अभिभावक उपस्थित थे।

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