अब सरहद पार भी तेजी से बढ़ रही हिदी

साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था कला-संगम एवं ज्योति एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी बनगांव के संयुक्त तत्वावधान में भीसा स्थित सोसाइटी कार्यालय में हिदी पखवाड़ा समापन समारोह का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 12:39 AM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 12:39 AM (IST)
अब सरहद पार भी तेजी से बढ़ रही हिदी
अब सरहद पार भी तेजी से बढ़ रही हिदी

सीतामढ़ी । साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था कला-संगम एवं ज्योति एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी बनगांव के संयुक्त तत्वावधान में भीसा स्थित सोसाइटी कार्यालय में हिदी पखवाड़ा समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विचार-गोष्ठी व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अध्यक्षता सोसाइटी के सचिव रामबाबू सिंह बनगांव तथा संचालन गीतकार गीतेश ने किया। विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में हिदी का महत्व और भी ज्यादा बढ़ा है। देश के साथ-साथ सरहद पार पूरे विश्व में भी हिदी तेजी से बढ़ रही है। वक्ताओं ने जिले के दिवंगत साहित्यकार डॉ.मदन मोहन प्रसाद वर्मा पूर्णेन्दु एवं मैथिली वल्लभ शरण परिमल के साहित्यिक योगदान की चर्चा करते हुए उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किया। वक्ताओं में फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रभात भूषण, रामबाबू सिंह वनगांव, सुरेशलाल कर्ण, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र रजनीश रंजन, पटना विवि के छात्र मुकेश सत्यांश एवं पंकज कुमार थे। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का शुभारंभ गीतकार गीतेश की रचना बड़े चाव से करने लगे लोग इसे स्वीकार हैं, फैल रही हिदी की खुशबू सरहद के पार है, से हुआ। कृष्णनंदन लक्ष्य की कवित मन तुम्हारी यादों में बंजारा बन बैठा, दिल भी इक सुलगता हुआ शरारा बन बैठा तथा रजनीश रंजन की रचना रात भर नींद नहीं आती, पता नहीं किसका इंतजार रहता है, ने समां बांध दिया। पंकज कुमार की कविता, जिसके जीने की वजह है, कैसे उसी के कातिल हो जाए तथा सुकेश सत्यांश की रचना मैं जुगनू हूं तू रौशनी मेरी, बिना तेरे न कोई वजूद मेरा रहा, ने खूब वाहवाही बटोरी। बाल कवयित्री स्वाति एवं श्रुति तथा बाल कवि आर्या राज तथा वसीम ने अपनी रचनाओं से खूब तालियां बटोरी।

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