माहे-रमजान का अलविदा जुम्मा पर सबने मांगी कोरोना के खात्मे की दुआ
सीतामढ़ी। रमजान के आखिरी जुम्मा को अलविदा जुम्मा कहते हैं। अलविदा का खास महत्व और दर्जा हा
सीतामढ़ी। रमजान के आखिरी जुम्मा को अलविदा जुम्मा कहते हैं। अलविदा का खास महत्व और दर्जा हासिल है। रमजान के तीसरे भाग मे अलविदा जुम्मा आता है। यह भाग जहन्नुम से निजात पाने का होता है। अल्लाह के नेक बंदे को रमजान की विदाई की चिता सताने लगती है। उनके रहमत, मगफिरत और जहन्नम से आजादी दिलाने का बरकत महीने का समाप्त होने का अफसोस लाजिमी है। कोरोना को लेकर फीकी रही अलविदा जुम्मा : कोरोना को लेकर अलविदा जुम्मा फीकी रही। पिछले वर्ष भी कोरोना को लेकर चहल-पहल नहीं रही। वैसे इस दिन को छोटी ईद के रूप मे मनाया जाता रहा है। बच्चे सुबह से ही उत्साहित रहते थे। नए-नए कपड़े पहन मस्जिद में अलविदा की नमाज अपने अभिभावकों के साथ अदा करते थे। मदरसा रहमानिया मेहसौल के पूर्व अध्यक्ष मो. अरमान अली का पुत्र आमिर अली अलविदा जुम्मा के लिए मस्जिद नहीं जा सका। घर पर ही उसने नमा•ा पढ़ी। नन्हें आमिर ने कोरोना महामारी से महफूज रखने की दुआ मांगी। सामाजिक कार्यकर्ता मो. कमर अख्तर के पुत्र असद अख्तर ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण अलविदा जुम्मा का उत्साह नहीं था। इस दिन नए कपड़े पहनते थे। रोजा रखकर अल्लाह से राज्य और देश से कोरोना की लहर की समाप्ति की दुआ की। लाक डाउन को लेकर मस्जिद मे नहीं हो सकी अलविदा जुम्मा
कोरोना को लेकर संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है। कई मुस्लिम संगठन घरों में नमाज अदा करने की अपील कर चुके हैं। इन संगठनों और मौलानाओं ने कोरोना से बचाव को लेकर सतर्क रहने को कहा। घरों मे इबादत करने की अपील की गई। शारीरिक दूरी बनाए रखने और मास्क का इस्तेमाल करने को भी कहा गया। दारूल उलूम देवबंद, इमारत-ए-शरिया पटना, बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के अलावा अन्य मौलानाओं ने भी घरों मे इबादत की अपील की।