कोरोना योद्धा डॉ. राजेश सुमन के जज्बे को सलाम, दिव्यांग बच्चों के चेहरे पर बिखेर रहे मुस्कान

सीतामढ़ी। कोरोना जैसी महामारी हर चेहरे से मुस्कान छीन रही है। हर कोई परेशान-हताश्

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Apr 2021 12:15 AM (IST) Updated:Sat, 24 Apr 2021 12:15 AM (IST)
कोरोना योद्धा डॉ. राजेश सुमन के जज्बे को सलाम, दिव्यांग बच्चों के चेहरे पर बिखेर रहे मुस्कान
कोरोना योद्धा डॉ. राजेश सुमन के जज्बे को सलाम, दिव्यांग बच्चों के चेहरे पर बिखेर रहे मुस्कान

सीतामढ़ी। कोरोना जैसी महामारी हर चेहरे से मुस्कान छीन रही है। हर कोई परेशान-हताश है। ऐसे समय में फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. राजेश कुमार सुमन दिव्यांग बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने के मिशन में डटे हुए हैं। राष्ट्रीय न्यास से निबंधित जिले कि संस्था आरोग्या फाउंडेशन फॉर हेल्थ प्रमोशन एवं कम्युनिटी बेस्ड रिहैबिलिटेशन के द्वारा डुमरा रोड में संचालित दिव्यांगन के निदेशक हैं। वे खुद कोरोना से पीड़ित हो गए थे। मगर, अपने हौसले और जज्बे की बदौलत कोरोना को हराया और ड्यूटी पर लौट आए। दिव्यांग बच्चों के माता-पिता के चेहरों पर मुसकुराहट बिखेरने की कोशिश में लगे हैं। बड़ी उम्मीदों के साथ दिव्यांग बच्चों को लिए मां-बाप जब उनके क्लीनिक का दरवाजा खटखटाते हैं तब डॉ. सुमन की फिजियोथेरेपी पाते ही वे बच्चे खिलखिला उठते हैं, मानों उनकी सारी तकलीफें पलभर में गायब हो जाती हैं। बीमार और परेशान लोगों के लिए उनकी पहल किसी संजीवनी से कम नहीं है। कोरोना मरीजों की देखभाल के दौरान पिछले साल डॉ. राजेश सुमन खुद संक्रमित हो गए थे। हालात इतने बिगड़ गए थे कि वे 15 दिनों तक जिदगी और मौत से जूझते रहे। जब स्वस्थ होकर घर लौटे तो एकबार फिर बिना रूके-थके हर मरीज के चेहरे पर मुस्कान लाने के मिशन में जुट गए।

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लौटकर आया तो दिल की दूरियों को पाटने की कोशिश की

डॉ. सुमन बताते हैं कि हम तो कोरोना से प्रभावित भी हुए थे। लेकिन, इससे बचके जब आए तो यह नहीं सोचे थे कि कोरोना पॉजिटिव हो गए तो काम छोड़ देना चाहिए। असल में मेरे जेहन में यह बात थी कि कोरोना को लेकर समाज में जितना भेदभाव बढ़ गया है कि लोग एक-दूसरे से दूर-दूर रहने लगे हैं। मेरा मानना है कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत दो गज की दूरी जरूरी है मगर, दिल की दूरी नहीं होनी चाहिए। कोरोना पीड़ित से भेदभाव मत करिए। कम से कम उनके साथ सहानुभूति का भाव रखिए। अच्छे से व्यवहार करिए। एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। उसी चीज पर हमने फोकस किया। लोगों से कहा कि मोबाइल पर ही सही हालचाल लेते रहिए इससे भी मनोबल बढ़ेगा। कोविड प्रोटोकॉल में भी रिहैबिटेशन पुनर्वास

दूसरा मेरा फोकस्ड यह था कि वैसे दिव्यांग बच्चे जिनका रिहैबिटेशन हम करते हैं, फिजियोथेरेपी-ट्रीटमेंट देते हैं वह तो होते रहना चाहिए रिहैबिटेशन प्रॉसेस नहीं रुके इस कोविड प्रोटोकॉल में उसपर फोकस हमारा ज्यादा है। उसके लिए हम लोगों ने तय किया कि जो बच्चों के समूह को दो-तीन भाग में बांटकर अलग-अलग इलाज किया जाता है। मोबाइल और वीडियो के माध्यम से हम लोगों ने वक्त निर्धारित कर दिया। कह दिया कि तय समय पर अभिभावक तत्पर रहेंगे और मोबाइल-वीडियो के माध्यम से ही उनका इलाज हो जाएगा। इसी के साथ फिजियोथेरेपिस्ट के नाते मेरी, अकोपेशनल थेरेपिस्ट, काउंसिलर और स्पीच देने वाले की ड्यूटी लग गई। डॉ. सुमन ने बताया कि उनकी संस्था नेशनल ट्रस्ट भारत सरकार के अधीन है और उसमें सेरेब्रल पाल्सी बच्चों को देखा जाता है। उसके तहत सेरेब्रल पाल्सी बच्चों का हम लोग रिहैबिटेशन पुनर्वास इस कोविड प्रोटोकॉल में भी कर रहे हैं। ताकि, बच्चों का कोई दिक्कत न हो।

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