आख खुली तो सामने था मौत का भयावह मंजर
बाराबंकी/सीतामढ़ी। करीब साढ़े पाच सौ किलोमीटर की दूरी तय कर चुके बिहार के लोग सुनहरी और खुश्
बाराबंकी/सीतामढ़ी। करीब साढ़े पाच सौ किलोमीटर की दूरी तय कर चुके बिहार के लोग सुनहरी और खुशनुमा सुबह की उम्मीद लेकर नींद में सोए थे। सड़क, डिवाइडर और बस के नीचे भी उन्हें गहरी नींद आ रही थी। उन्हें इसका तनिक भी अहसास नहीं थी कि मंगलवार की यह रात उनके लिए अमंगलकारी साबित होगी। घड़ी की सुइया बारह बजे के आसपास पहुंचने ही वाली थीं एक तेज रफ्तार ट्रक की टक्कर से बस 15 मीटर तक घिसटती चली गई। उन्हें क्या पता थी कि जिस बस में सवार होकर वह अपने घर की मंजिल तय कर रहे थे वहीं उनकी मौत का कारण बन जाएगी। अचानक हुए हादसे से कोहराम मच गया। यात्रियों की आख खुली तो उनकी आखों के सामने मौत ताडव करती दिखी। किसी का अपना घायल हुआ तो किसी का अपना बिछुड़ गया। घटना के चश्मीदीदों ने जागरण से अपना दर्द साझा किया।
भगवान का शुक्रिया.परिवार बच गया
घटनास्थल पर अपना सामान ढूंढ रहे राकेश ने बताया कि वह अंबाला कैंट में परिवार के साथ टमाटर की खेती करते हैं। परिवार में शादी थी इसलिए करीब पाच वर्ष बाद छह सदस्यीय परिवार के साथ सीतामढ़ी जा रहे थे। बस खराब होने पर बाहर सोने को कहा तो पत्नी ने इन्कार कर दिया। इस पर बस में सोने चले गए। अचानक तेज झटके बाद नींद खुली तो चीख-पुकार ही सुनाई पड़ रही थी। ईश्वर की शुक्र है कि बच गए।
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जिंदगी पर पड़ी भारी, लापरवाही और क्षमता से अधिक सवारी
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-85 की क्षमता वाली बस में ले जाए जा रहे थे 135 यात्री
-रास्ते में टायर पंक्चर होने के बावजूद नहीं चेते चालक-परिचालक
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जगदीप शुक्ल, बाराबंकी : सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान पढ़ाए जाने वाले यातायात नियमों के पाठ और सरकारी जागरूकता अभियानों की जमीनी हकीकत से रामसनेहीघाट में मंगलवार की रात हुए हादसे ने रूबरू करा दिया। हर चौराहे पर दो पहिया-चार पहिया वाहनों पर कार्रवाई की झड़ी लगाने वाली ट्रैफिक पुलिस की इस ओवरलोड डबलडेकर बस पर नहीं पड़ी। 85 सीटों वाली बस में 135 सवारिया बैठाई गई थीं। इसे बस संचालक का रसूख ही कहा जाएगा कि हरियाणा के पलवल से बाराबंकी के रामसनेहीघाट के करीब साढ़े पाच सौ किलोमीटर के सफर के दौरान कहीं रोकटोक नहीं हुई। ऋषभ ट्रेवल्स की डबल डेकर बस के चालक-परिचालक हाईवे पर मौत के मुहाने पर यात्रियों को छोड़कर चले गए, जिनका अब तक पता नहीं चल सका है।
ओवरलोडिंग बनी मौत की वजह
बस में 36 स्लीपर 13 सीटिंग सीट थीं। कुल मिलाकर इसमें 85 लोगों के बैठने की क्षमता थी, लेकिन इसमें करीब 135 यात्री ले जाए जा रहे थे। यदि सीट के मुताबिक ही यात्री होते तो शायद ज्यादातर बस में ही सवार होते और इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान न जाती। क्षमता से अधिक सवारी होने के कारण लेटना तो दूर तीन लोगों की सीट पर पाच से छह लोग बैठे थे। इसलिए बस के खराब होने पर जिसको जहा स्थान मिला सो गया और हादसे का शिकार हो गया। बस में एक-एक सीट पर छह-सात लोग बैठे थे। सभी से 12 से सोलह सौ रुपये प्रति यात्री की दर से किराया वसूला गया।
लापरवाही पर की गई लापरवाही
बताया जाता है कि लुधियाना पंजाब से चली बस हरियाणा के पलवल में खराब हो गई थी। इसमें करीब पचास यात्री थे। बस के चालक ने डबर डेकर बस में इन सबको बैठा दिया। डबल डेकर बस के ड्राइवर ने पहले से क्षमता से अधिक सवारिया होने के बाद भी इनको बिठा लिया। रास्ते में टायर पंक्चर होने के बाद भी अन्य खामियों की ओर से ध्यान देना तक मुनासिब नहीं समझा। एनएचएआइ की पेट्रोलिंग टीम की लापरवाही भी सामने आई है।
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फैक्ट फाइल
डबल डेकर बस में स्लीपर सीट : 35
बैठने की सीट : 13
कुल यात्रियों की क्षमता : 85
बस में सवार थे यात्री : 135