यदुपट्टी पंचायत से मां-बेटी तो चोरौत पूर्वी पंचायत से 20 साल से लड़ रहे भाई-भाई हारे

सीतामढ़ी। पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में चोरौत प्रखंड के नतीजे चौंकाने वाले आए हैं। मुखिया के पांच वर्षों के कामकाज के तौर-तरीके के प्रति जबरदस्त नाराजगी दिखी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 01 Oct 2021 11:43 PM (IST) Updated:Fri, 01 Oct 2021 11:43 PM (IST)
यदुपट्टी पंचायत से मां-बेटी तो चोरौत पूर्वी पंचायत से 20 साल से लड़ रहे भाई-भाई हारे
यदुपट्टी पंचायत से मां-बेटी तो चोरौत पूर्वी पंचायत से 20 साल से लड़ रहे भाई-भाई हारे

सीतामढ़ी। पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में चोरौत प्रखंड के नतीजे चौंकाने वाले आए हैं। मुखिया के पांच वर्षों के कामकाज के तौर-तरीके के प्रति जबरदस्त नाराजगी दिखी है। नतीजा हुआ कि चोरौत प्रखंड में 99 फीसद मुखिया चुनाव हार गए हैं। इस बार परिगामा पंचायत को छोड़कर छह पंचायतों में नए मुखिया चुने गए हैं। परिगामा पंचायत में मुखिया संजय कुमार चौथी बार जीत दर्ज कराकर अपना परचम लहराया है। उधर, पश्चिमी पंचायत के वार्ड नंबर आठ निवासी प्रमोद हाथी ने चोरौत पूर्वी पंचायत में मुखिया पद पर चुनाव लड़ा था। जिसमें भाई-भाई की लड़ाई में प्रमोद हाथी ने बाजी मार ली। प्रमोद हाथी को 1270 मत मिले। बड़े भाई रामनरेश चौधरी को 635 मत मिले तो छोटे भाई रामप्रवेश चौधरी को 1146 वोट मिले। दोनों भाई के चुनावी मैदान में होने से तीसरे ने बाजी मार ली। उधर, यदुपट्टी पंचायत में मां बेटी की लड़ाई में तीसरे ने बाजी मार ली। मां शकीला हुसैन को लगभग 71 से अधिक मत मिले वही बेटी अनीशा हुसैन को 771 मत मिले। मां बेटी की लड़ाई में निशा कुमारी 1402 मत प्राप्त कर जीत हासिल कर ली।

-------------------------- रिश्ते की जंग में मिल गई करारी शिकस्त

चोरौत प्रखंड की दो पंचायतों में मुखिया के पदों पर दिलचस्प रही। अधिकतर लोगों की नजर इन्हीं दोनों सीटों पर टिकी हुई थी। एक जगह मां-बेटी तो दूसरी जगह 20 साल से लड़ रहे भाई-भाई आमने-सामने थे। मां-बेटी और भाई-भाई में वोट की लड़ाई अनोखी और दिलचस्प बन गई थी। हालांकि, रिश्ते की जंग में इन सबको हार का सामना करना पड़ा और बाजी कोई दूसरा मार ले गया। चोरौत प्रखंड की यदुपट्टी पंचायत से मुखिया पद के लिए सकिला हुसैन और उनकी बेटी अनिसा हुसैन आमने-सामने थीं। इसी प्रखंड की चोरौत पूर्वी पंचायत से मुखिया पद के लिए दो भाई राम प्रवेश चौधरी और राम नरेश चौधरी चुनाव मैदान में आमने-सामने थे। मुखिया के चुनाव में रिश्तों के बीच सियासी जंग छिड़ गई थी।

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