विधायक बोले-सदन में उठाए तमाम सवाल, कुछ काम हुए कुछ नहीं होने का मलाल
यूं तो विधायक अपने इलाके के लोगों को लगातार आश्वासन देते रहते हैं कि वे क्षेत्र की समस्याओं के लिए लड़ रहे हैं।
सीतामढ़ी। यूं तो विधायक अपने इलाके के लोगों को लगातार आश्वासन देते रहते हैं कि वे क्षेत्र की समस्याओं के लिए लड़ रहे हैं। भाषणों में कहना नहीं भूलते कि विधानसभा में क्षेत्र की समस्या को प्रमुखता से उठाते हैं। लेकिन, सवाल है कि क्या वास्तव में वे इलाके की समस्या के प्रति चितित हैं? हमने सीतामढ़ी विधानसभा क्षेत्र में इस बात की पड़ताल की। वहां के विधायक से भी जाना कि उन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के लिए विधानसभा में कितनी बार सवाल उठाए, किन-किन समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया? पानी, बिजली, आवास, शिक्षा सबके बारे में सवार उठाने का दावा
सीतामढ़ी के विधायक सुनील कुमार कुशवाहा का कहना है कि पानी, बिजली, आवास, शिक्षा आदि एक-एक मसले पर सदन में सवाल पूछकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश की। कुछ पर काम हुआ तो अधिकतर काम पेंडिग ही रह गया। विधायक का कहना है कि विधानसभा के 14 सत्र हमने अटेंड किए हैं। एकसाल में तीन सत्र होते हैं। पांच साल में 15 सत्र हुए। कृषि सिचाई की व्यवस्था का मुद्दा उठाया। यहां सबसे खराब हालत थी। विधानसभा क्षेत्र में 40 ट्यूबवेल थे जिनमें 32 को दुरुस्त कराकर चालू करा दिया गया। मगर एक ऑपरेटर होने के कारण वे सभी एकसाथ काम नहीं कर पा रहे हैं। लखनदेई नदी की उड़ाई के लिए भी सवाल उठाए। लखनदेई नदी पर कैलाशपुरी में बना बांध जगह-जगह क्षतिग्रस्त है। जिसके कारण वहां रहने वाले डेढ़ सौ घरों पर खतरा है। पूर्ववर्तती डीएम डॉ. रंजीत कुमार सिंह से बात करने पर उन्होंने पहल की। डीपीआर बन गई थी मगर फंड के अभाव में वह काम भी रुक गया। सीतामढ़ी में जल निकासी के लिए सदन में कई बार सवाल उठाए। सीतामढ़ी के लिए मास्टर प्लान बनाने की मांग की लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हो सका। अपने निजी कोष से कई जगहों पर जल निकासी की व्यवस्था कराई। सीतामढ़ी विधानसभा क्षेत्र में सड़क जाम की बड़ी समस्या
बिहार का पहला ऐसा विधानसभा है जहां अंचल व प्रखंड कार्यालय दोनों सात किलोमीटर की दूरी पर हुआ करते थे। मैंने दोनों को एक ही कैंपस में शिफ्ट करवाया। सड़कों को लेकर सवाल उठाए। एनएच-77 में मुजफ्फरपुर से भिट्ठामोड़ जाने वाली सड़क में लगमा लाइन होटल के पास टूटे पोल तथा उसकी मरम्मत के लिए सवाल उठाए। पमरा से बरियापुर को जोड़ने वाली एनएच 104 पर मेहसौल रेलवे गुमटी के उपर आरओबी बनाने की मांग उठाई। शंकर चौक से बरियारपुर जाने वाली सड़क की मरम्मत के लिए किसी ने ध्यान हीं दिया था। उसके लिए ग्रामीण कार्य विभाग से डीपीआर तक बनवा दिया। लेकिन, सरकार फंड के अभाव का रोना रोती रही और वह सड़क नहीं बन पाई है। सड़क जाम की बड़ी समस्या है जिसके लिए मैंने कई बार ब्लू प्रिट तैयार कराने के लिए मैंने कहा। मेरे प्रयास से मेडिकल कॉलेज का निर्माण मुरादपुर के कृषि फॉर्म में होने वाला है। 21 प्राथमिक विद्यालयों उत्क्रमित विद्यालय में तब्दील मगर शिक्षक नहीं होने से विद्यालय बंद
शौचालय योजना के तहत जिन लोगों ने शौचालय बनवा लिया है और राशि नहीं मिल पाई है उसके लिए सरकार से मांग की गई। पता चल रहा है कि जो लोग पदाधिकारी को घुस दे देते हैं उनका काम होता है और जो नहीं देते उनका नहीं हो पाता। रीगा चीनी मिल से 2014-15 में किसानों के भुगतान के लिए सरकार से मांग की गई। जिसके आलोक में सरकार ने चिट्ठी भी निर्गत की। उस आलोक में किसानों के लिए जो पैसे आवंटित हुए वो मिल मालिक व बैंकों की मिलीभगत से उसका सीसी कर दिया गया। जिसमें कई महीनों तक मिल ने उसका किस्त चुकाया भी। बाद में पैसे देना बंद कर दिया। उसके कारण कई किसानों पर प्राथमिकी दर्ज हो गई। 21 प्राथमिक विद्यालयों को उत्क्रमित विद्यालय में तब्दील करवाया है। लेकिन, शिक्षक नहीं होने के कारण वो सभी विद्यालय बंद पड़े हैं। जिन शिक्षकों को कई वर्षों से वेतन नहीं मिला है उनके लिए भी सरकार से सवाल पूछा गया है। सीतामढ़ी की बिजली व्यवस्था थोड़ी ठीक हुई है लेकिन, बिजली बिल में काफी विसंगितयां हैं। एक ही ट्रांसफॉर्मर से जब दो लोग कनेक्शन लेते हैं, एक व्यक्ति को शहरी फीडर का पैसा देना होता है तो दूसरे को ग्रामीण का। कहने के लिए केंद्र व राज्य दोनों को मिलाकर डबल इंजन की सरकार है लेकिन विकास के मुद्दे पर विफल है।
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