पुपरी प्रखंड की सबसे कम उम्र की मुखिया बनीं मनीषा

पुपरी में मिलिए प्रखंड की सबसे युवा मुखिया से महज 21 साल की उम्र में चुनाव जीतकर मनीषा कुमारी ने बौरा बाजितपुर पंचायत में इतिहास रच दिया है। महज 10 माह पहले बहु बनकर आई मनीषा ने कई दिग्जजो को करारी शिकस्त देकर न सिर्फ जीत हासिल की है बल्कि अपने ससुर की दिवंगत माता की कुर्सी को भी बचाने में सफल रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 07:55 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 07:55 PM (IST)
पुपरी प्रखंड की सबसे कम उम्र की मुखिया बनीं मनीषा
पुपरी प्रखंड की सबसे कम उम्र की मुखिया बनीं मनीषा

सीतामढ़ी । पुपरी में मिलिए, प्रखंड की सबसे युवा मुखिया से, महज 21 साल की उम्र में चुनाव जीतकर मनीषा कुमारी ने बौरा बाजितपुर पंचायत में इतिहास रच दिया है। महज 10 माह पहले बहु बनकर आई मनीषा ने कई दिग्जजो को करारी शिकस्त देकर न सिर्फ जीत हासिल की है, बल्कि अपने ससुर की दिवंगत माता की कुर्सी को भी बचाने में सफल रही है। ग्रेजुएट मनीषा इस वक्त 21 साल 3 माह की है। उसने अपनी उम्र में करीब-करीब दोगुनी वाली प्रतिद्वंदी नीलम देवी को 142 वोटों से शिकस्त दी है। मनीषा को कुल 1215 मत प्राप्त हुए। जबकि, प्रतिद्वंदी नीलम को 1073 वोट मिले। इस पंचायत में कुल सात प्रत्याशी मैदान में थे। मनीषा के ससुर की माता रामप्यारी देवी मुखिया थीं। लेकिन, कार्यकाल पूरा होने के सात माह पहले उनका निधन हो गया। इसके बाद पंचायत की बागडोर मनीषा के ससुर विनोद राय संभाल रहे थे। मनीषा दिसंबर में बहु बनकर आई। ऐसे में यह जीत उनके भविष्य के लिए भी काफी मायने रखती है। नवनिर्वाचित मुखिया मनीषा ने कहा कि उनके पास विकास के लिए कई आइडिया हैं। सबसे जरूरी गंगापट्टी घाट पर पुल का निर्माण कराना है जहां दक्षणी तरफ के लोगों को आने में परेशानी होती है। कहीं जीत का जश्न तो कहीं हार का सन्नाटा, मंगल किसी के लिए मंगलकारी तो किसी के लिए अमंगल पुपरी प्रखंड में मंगलवार को पंचायत चुनाव के नतीजे जैसे-जैसे आ रहे थे, वैसे-वैसे लोगों का उत्साह बढ़ता जा रहा था। एक तरफ जीतने वाले प्रत्याशियों के खेमे में जश्न का माहौल था। वही हारने वाले उम्मीदवार के समर्थकों में सन्नाटा पसर रहा था। सुबह से शाम तक लोग परिणाम जानने के लिए मोबाइल से चिपके रहे। कई लोग फेसबुक व व्हाट्सएप के जरिये रिजल्ट की खबर लेते रहे। जैसे-जैसे दिन ढ़लता गया, वैसे-वैसे होली व दिवाली जैसा माहौल बनता गया। गांव की गलियों से हर चौक चौराहों पर आतिशबाजी भी होती रही। जबकि, हारने वाले प्रत्याशियों के खेमे में लोग अपने-अपने हिसाब से जीत-हार को लेकर चर्चा करने लगे। कई लोग तो प्रत्याशियों की ओर से चुनाव के दौरान पानी की तरह बहाए गए पैसे व उसके परिणाम को लेकर भी खूब चर्चा करते नजर आए। इससे पहले अहले सुबह पूजा-पाठ कर जीत का भरोसा लिए मतदान केंद्र के लिए रवाना होने वाले प्रत्याशियों की खुशियां परिणाम आने के साथ काफूर होती गईं। चुनाव में पटखनी खाने वाले उम्मीदवारों के लिए शायद मंगलवार का दिन अमंगल हो गया।

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