बॉटम : काश! पीएम आवास योजना के साथ मनरेगा में 90 दिन की मजदूरी का लाभ मिला होता

सीतामढ़ी। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लाभार्थियों के चेहरे पर खुशी बिखेरने वाली वह घोषणा उन फटेहाल मजदूरों के लिए हवा-हवाई ही साबित होकर रह गई योजना के जिन पात्रों को आवास निर्माण की राशि के साथ-साथ निर्माण कार्य में लाभार्थी द्वारा किए गए श्रम का भी पैसा मिलने वाला था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 11:58 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 11:58 PM (IST)
बॉटम : काश! पीएम आवास योजना के साथ मनरेगा में 90 दिन की मजदूरी का लाभ मिला होता
बॉटम : काश! पीएम आवास योजना के साथ मनरेगा में 90 दिन की मजदूरी का लाभ मिला होता

सीतामढ़ी। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लाभार्थियों के चेहरे पर खुशी बिखेरने वाली वह घोषणा उन फटेहाल मजदूरों के लिए हवा-हवाई ही साबित होकर रह गई योजना के जिन पात्रों को आवास निर्माण की राशि के साथ-साथ निर्माण कार्य में लाभार्थी द्वारा किए गए श्रम का भी पैसा मिलने वाला था। योजना में मनरेगा को जोड़ने के बाद यह व्यवस्था की गई थी कि पीएम आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए पैसे तो मिलेंगे ही जो लोग घर बनाने में खुद श्रम करेंगे उन्हें उनकी मेहताने के तौर पर 15 हजार रुपये ज्यादा मिलेंगे। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना में मनरेगा को जोड़ने के बाद कहा था कि योजना में पात्र लाभार्थी को आवास निर्माण के लिए एक लाख 20 हजार रुपये दिए जाएंगे। साथ ही लाभार्थी आवास निर्माण के समय स्वयं भी श्रम करता है तो उसके अतिरिक्त 90 दिन की श्रम राशि के रूप में 15 हजार 575 रुपये का अतिरिक्त भुगतान मनरेगा की तरफ से किया जाएगा। यानी उसे कुल एक लाख 35 हजार 575 रुपये का भुगतान किया जाएगा। मनरेगा के तहत वैसे तो 100 दिन के रोजगार की गारंटी होती है लेकिन, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लाभार्थियों को आवास निर्माण के लिए 90 दिन की अतिरिक्त मजदूरी राशि का भी भुगतान होना था। मगर, ऐसा हो न पाया। यूपी के बाराबंकी में मंगलवार देर रात हुए भीषण सड़क हादसे में जान गंवाने सभी लोग रोजी-रोटी की जुगाड़ में हरियाणा-पंजाब धान रोपनी के लिए गए थे और वहां से दो जून की रोटी के लिए मेहनत की कमाई कर वापस लौट रहे थे। मगर, रास्ते में ही काल के गाल में समा गए। दर्जन भर अन्य जख्मी भी हुए हैं। लोगों का कहना है कि जिन मजदूरों ने अपनी जान गंवाई है उन सभी को सिर छुपाने को घर मयस्सर नहीं है। अगर इस योजना का लाभ गरीब-मजदूरों को मिल गया होता तो शायद ये परदेस जाने को मजबूर न होते और आज यह दिन न देखना होता..!

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