नारों तक सिमटा स्वच्छता, नल का जल भी कहीं नहीं दिखता

सीतामढ़ी। बीते 5 वर्षों में चोरौत प्रखंड के भंटावारी पंचायत में आशा के अनुरूप विकास कार्य नह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 11:33 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 11:33 PM (IST)
नारों तक सिमटा स्वच्छता, नल का जल भी कहीं नहीं दिखता
नारों तक सिमटा स्वच्छता, नल का जल भी कहीं नहीं दिखता

सीतामढ़ी। बीते 5 वर्षों में चोरौत प्रखंड के भंटावारी पंचायत में आशा के अनुरूप विकास कार्य नहीं होने का मलाल पंचायतवासियों को है। कार्य हुआ भी तो उसमें गुणवत्ता को ताख पर रख दिया गया। शुक्रवार को भंटाबारी पंचायत स्तर हुए कार्य का लेखा-जोखा लेने के दौरान स्थानीय लोगों ने राम नरेश ठाकुर वाली गली की ढ़लाई जो चार दिन पूर्व ही हुई थी, उसे दिखाते हुए कहा कि सिर्फ एक से डेढ़ इंची ढलाई की गई है। लोगों ने कहा कि खरंजा भी 4 नंबर ईट का प्रयोग किया गया था। इस संबंध में जब जेई रोशन कुमार पासवान से पूछने पर उन्होंने कहा कि यह कार्य बिना प्रशासनिक स्वीकृति व बिना आम सभा व बिना एजेंडा का किया गया है । इसलिए इस प्रकार के कार्य को स्वीकार नहीं किया जाएगा। हालांकि पंचायत में अधिकांश जगहों पर नाला का निर्माण नहीं किया गया है। सड़क भी बनी है तो उसका पोल खोल रहा है। जल जीवन हरियाली सिर्फ नारे तक सिमटा रहा। न कहीं पौधा लगाया गया अआर न सोख्ता निर्माण का लाभ मिला। मनरेगा से मिलने वाले गरीब लोगों के लिए पशु शेड भी नहीं बनाया गए । कुछ वार्ड को छोड़ दिया जाए तो नल जल योजना की भी स्थिति बदतर है। कहीं नल में जल नहीं तो कहीं मीनार नहीं। इस पंचायत में 7 गांव है। इन गांव की सड़कों पर सड़क के दोनों ओर गंदगी पसरी रहती है । कई साल बीतने के बावजूद भंटावारी पंचायत आज तक स्वच्छ पंचायत घोषित नहीं किया गया। हालांकि प्रखंड के अन्य पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है । पंचायत में कुल 9 विद्यालय है । जिसमें भंटावारी गांव के दूसरी तरफ उत्क्रमित उच्च विद्यालय में वर्ग 1 से 10 तक पढ़ाई होती है । इस विद्यालय में मात्र एक से आठ तक के ही शिक्षक हैं। लेकिन पढ़ाई कागज में दसवीं तक होती है। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता की खुद पोल खुल रही है । यह पंचायत है प्रखंड का सबसे पिछड़ा पंचायत माना जाता है । बारिश के शुरू होते ही लगभग कई सप्ताह तक इसके अधिकांश भाग जलमग्न रहता है। आवागमन बाधित हो जाता है। बीते 5 वर्षों में गांव के दक्षिण 2 गांव को जोड़ने वाली उच्च स्तरीय पुल का निर्माण अधूरा है। स्थानीय लोगों ने पुल निर्माण एजेंसी की शिकायत की । प्रशासन के अधिकारियों ने ठेकेदार को ही ब्लैक लिस्टेड कर दिया । यह पंचायत रातो नदी और मरहा नदी से घिरा हुआ है बिना तटबंध के होने से अधिकांश समय यहां पंचायत जलमग्न रहता है। इसलिए इस पंचायत को जहदा नाम से जाना जाता है। यहां बिजली लगभग 20 से 22 घंटे रहती है ।

क्या कहते हैं ग्रामीण:

युवा हरिशंकर ठाकुर कहते हैं की पंचायत में बिजली के पोल लाइट नहीं लगाया गया है। रात्रि में अंधेरा रहता है। पंचायत के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है। यही हाल चिकित्सा व्यवस्था का है । नल जल योजना का भी जमीन पर नहीं उतरा है । युवा सच्चिदानंद ठाकुर कहते हैं कि हमारे पंचायत में नाली का निर्माण नहीं हो पाया है। बारिश के दिनों में जल जमसच की समस्या होती है। लोग अपने चापाकल का पानी जैसे तैसे बहाते हैं । सड़क निर्माण के नाम पर बंदरबांट कर लिया गया है। स्ट्रीट लाइट मुखिया के चहेते लोगों के घर के सामने ही लगाया गया है। सुमन ठाकुर कहते हैं कि घर तक जाने के लिए भी रास्ता का निर्माण नहीं किया गया है बारिश के दिनों में 2 फीट पानी हेल कर घर तक जाना पड़ता है। पंचायत में विकास कार्य कहीं भी नहीं दिख रहा है। बुजुर्ग जुगल किशोर ठाकुर कहते हैं कि मेरी नजर में सड़क बिजली का कार्य अच्छा किया गया है । गली-गली में सड़क का निर्माण हुआ है । नल जल योजना पर भी काम किया गया है । क्या कहते हैं मुखिया:

पंचायत के मुखिया पुकार दास ने कहा कि पंचायत में नल जल योजना, पक्की सड़क, बिजली सहित अन्य क्षेत्र में कार्य हुए हैं। आम लोगों के हित में कार्य हुआ है। वृद्धावस्था पेंशन, प्रधानमंत्री आवास, योजना शौचालय की प्रोत्साहन राशि योजना के लाभुकों को लाभ मिला है।

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