शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा..

सीतामढ़ी। देश की आजादी के लिए खुशी-खुशी फांसी के फंदे को चूमने वाले बलिदानी रामफल मंडल का शहादत दिवस सोमवार को मनाकर उनको याद किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 23 Aug 2021 11:52 PM (IST) Updated:Mon, 23 Aug 2021 11:52 PM (IST)
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा..
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा..

सीतामढ़ी। देश की आजादी के लिए खुशी-खुशी फांसी के फंदे को चूमने वाले बलिदानी रामफल मंडल का शहादत दिवस सोमवार को मनाकर उनको याद किया गया। हर साल दिवस विशेष पर ऐसे महापुरुषों को याद किया जाता है और फिर बाकी के दिन वे याद नहीं आते। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा..कहानी चरितार्थ होता है! अमर शहिद रामफल मंडल के शहादत दिवस पर प्रखंड मुख्यालय स्थित टावर चौक पर उनकी प्रतिमा पर कई बुद्धिजीवीयों, नेताओं ने माल्यार्पण किया। उनको श्रद्धांजलि दी। उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प जताया। विधायक मुकेश कुमार यादव व पूर्व विधायक डा. रंजू गीता भी उसमें शामिल थे। मधुरापुर में शहादत दिवस पर कार्यक्रम में विधायक मुकेश कुमार यादव ने कहा कि शहीद रामफल मंडल के पदचिह्नों पर चलकर समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को मिटाने हेतु संकल्प लेने का दिन है। कार्यक्रम को राजद नेता अभिराम पाण्डेय, संजय कुमार, प्रवीण कुमार, श्याम चौधरी आदि ने संबोधित किया। हंसते-हंसते 19 वर्ष की अल्पायु में फांसी पर झूल गए क्रांतिकारी रामफल मंडल

रामफल मंडल की शहादत दिवस की गाथा आज भी सुनाई जाती है। बच्चे उनकी वीरता की कहानी सुनकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं। 24 अगस्त, 1942 को क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी अधिकारी हरदीप सिंह, इंस्पेक्टर सूरत झा की हत्या कर दी थी। हत्या की प्राथमिकी रामफल मंडल समेत 4000 लोगों पर दर्ज की गई। मामला कोर्ट में गया, जहां वकीलों ने रामफल मंडल को कहा कि आप जज के सामने अपना गुनाह कबूल नहीं करेंगे लेकिन, इसके विपरीत रामफल मंडल ने अपनी वीरता दिखाते हुए गुनाह कबूल किया। जिसके बाद उन्हें फांसी की सजा हो गई। 23 अगस्त, 1943 को 19 वर्ष की आयु में रामफल मंडल फांसी पर झूल गए।

घोषणाओं में सिमट कर रह गए आश्वासन

रामफल मंडल की शहादत को भुलाया नहीं जा सकता है। साल में दो बार जनप्रतिनिधियों द्वारा उनके जन्मदिन और शहादत दिवस पर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनके परिवार के लोगों से मुलाकात कर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती हैं। शहादत दिवस पर कई बार मेले का भी आयोजन किया गया। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह, मंत्री शीला मंडल, पूर्व सांसद सीताराम यादव, पूर्व मंत्री डा. रंजू गीता समेत कई बड़े नेता रामफल मंडल के पैतृक गांव मधुरापुर पहुंचकर कई योजनाओं की घोषणा की। शिल्यानास भी कर गए। लेकिन, आज भी मधुरापुर गांव विकास के लिए संघर्ष कर रहा है।

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