खुले में शौच मुक्त सीतामढ़ी को स्वच्छता रैंकिग में पिछड़ने का सबको मलाल

सीतामढ़ी। बिहार का पहला खुले में शौच मुक्त जिला होने का गौरव रखनेवाला सीतामढ़ी नेशनल स्वच्छता रैंकिग में ही पिछड़ गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 11:42 PM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 11:42 PM (IST)
खुले में शौच मुक्त सीतामढ़ी को स्वच्छता रैंकिग में पिछड़ने का सबको मलाल
खुले में शौच मुक्त सीतामढ़ी को स्वच्छता रैंकिग में पिछड़ने का सबको मलाल

सीतामढ़ी। बिहार का पहला खुले में शौच मुक्त जिला होने का गौरव रखनेवाला सीतामढ़ी नेशनल स्वच्छता रैंकिग में ही पिछड़ गया। सत्रह जुलाई, 2018 को सीतामढ़ी जिला खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया। मां जानकी जन्मभूमि का स्वच्छता रैंकिग में पिछड़ना बेहद चिताजनक है। जवाबदेह जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक महकमा इस बात को लेकर मलाल भी जताते हैं मगर फलाफल भी आईना दिखाते हैं। मध्यप्रदेश का इंदौर शहर अगर लगातार पांचवीं बार नंबर एक पॉजिशन पर बरकरार रह सकता है तो अपना शहर क्यों नहीं?

शहर की स्वच्छता की बात हो रही है तो इसमें स्थानीय जनभागीदारी की भूमिका निश्चय ही महत्वपूर्ण हो जाती है। सिर्फ जनप्रतिनिधियों व शासन-प्रशासन के भरोसे हम अपने दायित्व व कर्तव्य से मुक्त नहीं हो सकते। जवाबदेहों की कार्यशैली का आकलन तो होगा ही शहरवासियों को भी अपने शहर को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक रहना होगा, दूसरों को प्रेरित करते रहना होगा।

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-आइए समझें कि सरकार स्वच्छता रैंकिग देती कैसे है: प्रो. डा. आनंद किशोर बताते हैं कि स्वच्छता रैंकिग के लिए मुख्यत: तीन आधार होते हैं। शहरी निकाय द्वारा किए जा रहे कार्य यानी सर्विस लेवल प्रोग्रेस (साफ-सफाई,

कूड़ा संग्रह और निस्तारण), प्रमाणीकरण (अधिकृत संस्थाओं द्वारा ओडीएफ और जल संचय, संग्रहण व सफाई का

प्रमाणपत्र) व शहर के सामुदायिक शौचालयों की स्थिति, सफाई और उपयोग आदि। इसके बाद आखिर में जनता का फीडबैक (जो कार्य किए गए हैं, उनको जनता कैसे रेट करती है)-यह बहुत अहम हो चला है क्योंकि, 2021 में सरकार ने इसे कुल 6,000 अंकों में 1,800 अंक का वेटेज यानी 30 फीसद वेटेज दिया।

विद्यार्थी पढ़ाई तक सीमित न होकर स्वच्छता के प्रहरी भी बनें

डुमरा के चकमहिला वार्ड नंबर-एक के साजन कुमार, चंदन कुमार, अंशुमन पासवान सिद्धार्थ पासवान जैसे युवाओं ने लोगों से अपील की है कि कूड़ा न फैलाकर शहर को साफ रखने में मदद करें। इससे स्वच्छ भारत का सपना साकार होगा। सड़कों से कूड़ा उठाकर जनजागरुकता लाने के लिए स्वच्छता प्रहरी के रूप में योगदान दें। इन युवाओं का कहना है कि जब तक हम खुद स्वच्छ नहीं होंगे, देश को स्वच्छ बनाने में भागीदारी नहीं निभा पाएंगे। पहले हमें खुद को स्वच्छ रखना है। स्वयं की स्वच्छता हमें बीमारियों से मुक्ति दिलाने के साथ ही हमारे विकास में भी योगदान देगी। सबसे पहले यह सुनिश्चित करना है कि हर घर में डस्टबिन हो। नहीं है ता सबसे पहले जाकर व्यर्थ वस्तुओं का डस्टबिन बनाकर उसका इस्तेमाल करना है। डस्टबिन बनाने के बाद घर का कूड़ा उसमें डालना है और ध्यान रहे कि यह कूड़ा गली या खाली प्लॉट में नहीं फेंकना है। यह कूड़ा हमें नगर निगम के वाहन या डस्टबिन में डालना है, ताकि इसका निस्तारण हो सके। दुकानों पर यह पूछा जाना चाहिए कि उनके पास डस्टबिन है या नहीं। दुकानदार से कहें कि वह पहले डस्टबिन रखे, फिर वे सामान की खरीद करेंगे। ---------------------------------- कार्य संस्कृति में बदलाव व जागरूकता से स्वच्छ होगा अपना शहर

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प्रो. देवेंद्र प्रताप तिवारी बतातें हैं कि मुख्य पथ हो या गली-मोहल्ले में रखा डस्टबीन अब ढूंढे नहीं मिलता। कुछ टूट-फूट गए तो कुछ को कचरा चुनने वाले लोग उठा ले गए। प्रशासनिक कोताही के कारण सफाई व्यवस्था की खानापूरी होकर रह गई है। आउट सोर्सिंग के माध्यम से शहर की सफाई व्यवस्था कराई जा रही है। लेकिन, इससे कोई खास सुधार नहीं दिखता है। ऐसे में स्वच्छता रैंकिग में सीतामढ़ी फिसड्डी रहा। डॉ.एसके झा कहते हैं कि स्वच्छता के प्रति लोगों में भी जागरूकता की कमी है। गाहे-बेगाहे इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कोई कार्यक्रम का आयोजन कर लिया जाता है। लेकिन, उसे धरातल पर उतारने के लिए सतत अभियान नहीं चला। गंदगी फैलाने वालों पर जुर्माना नहीं लगता। समाजसेवी नीरज गोयनका कहते हैं कि सफाईकर्मी झाड़ू लगाते हैं और कूड़ा उठाकर ले जाते हैं। लेकिन, थोड़ी ही देर बाद लोग फिर जहां-तहो कूड़ा कचरा डाल देते हैं। जिसे जहां मन करता है कूड़ा डाल चला जाता है। कोई रोक-टोक नहीं है। जबकि, इंदौर में यह स्थित नहीं है। वहां प्रशासनिक स्तर पर सजगता के साथ ही नागरिकों में भी काफी जागरूकता है। इसके प्रति पूरी सतर्कत भी बरततें हैं। वहां के लोग गंदगी फैलाने वालों को पकड़कर जुर्माना भी भरवाते हैं। सीतामढ़ी शहर के लोगों को भी इसी प्रकार जागरूक होना होगा तभी स्थिति में बदलाव संभव है।

मैं हूं स्वच्छता प्रहरी शहर के कोट बाजार वार्ड 13 निवासी ज्योति शर्मा कहतीं हैं कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश में स्वच्छता अभियान शुरू किया गया उससे प्रेरित होकर अपने मोहल्ले एवं आसपास में स्वच्छता अभियान में हिस्सा लेने लगीं। आसपास के लोगों को कूड़ा- कचरा को निर्धारित जगह पर रखने के लिए प्रेरित करतीं हूं। मां जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी नेशनल स्व्च्छता रैंकिग में जगह नहीं पा सकी। यह जानकार काफी दुख हुआ। मैं संकल्प लेतीं हूं कि स्वच्छता अभियान को और वृहत रूप में चलाउंगी और शहर को स्वच्छ रखने में पूरी लगन से कार्य करूंगी। ताकि अगले सर्वे में सीतामढ़ी भी स्थान पा सके।

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