दो दशक पहले बना पुल, नहीं हो सका एप्रोच पथ का निर्माण

चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। विधानसभा चुनाव में एक ओर विभिन्न दलों के प्रत्याशियों द्वारा वादों की बौछार हो रही है। दूसरी ओर समस्याओं से संबंधित मुद्दा भी उछलने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Oct 2020 12:26 AM (IST) Updated:Sat, 10 Oct 2020 12:26 AM (IST)
दो दशक पहले बना पुल, नहीं हो सका एप्रोच पथ का निर्माण
दो दशक पहले बना पुल, नहीं हो सका एप्रोच पथ का निर्माण

सीतामढ़ी । चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। विधानसभा चुनाव में एक ओर विभिन्न दलों के प्रत्याशियों द्वारा वादों की बौछार हो रही है। दूसरी ओर समस्याओं से संबंधित मुद्दा भी उछलने लगा है। बाजपट्टी विधानसभा में तीन प्रखंड बोखड़ा, नानपुर एवं बाजपट्टी शामिल हैं। लोगों का मानना है कि विकास कार्य तो हुए हैं, लेकिन अभी भी क्षेत्र में कई समस्याओं से लोगों को निजात नहीं मिल पाया है। प्रखंड में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सिचाई एवं पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से लोग आज भी संतुष्ट नहीं हैं। कहने को भले ही सड़क, पुल, पुलियों का जाल बिछा है, लेकिन अभी कई ऐसे इलाके हैं,जहां सड़कों की स्थिति दयनीय है।

1. एप्रोच पथ के अभाव में बेकार पड़ा है पुल:

दो जिले सीतामढ़ी एवं मुजफ्फरपुर को जोड़ने वाली बोखड़ा प्रखंड के बालासाथ एवं औराई प्रखंड के कोकिलबारा गांव के बीच हेमदा नदी पर 20 वर्ष पूर्व निर्मित लोहे की पुल के दोनों तरफ एप्रोच पथ नहीं बनने से जनहित में यह पुल बेकार साबित हो रहा है। तकरीबन बीस वर्ष पूर्व तत्कालीन सांसद नवल किशोर राय के प्रयास से 10 लाख रुपये की लागत से लोहा निर्मित पुल बना था। लेकिन, पुल के दोनों तरफ से एप्रोच पथ नहीं बनाया जा सका। बालासाथ बाजार से उक्त पुल के समीप तक ईट सोलिग सड़क है। जबकि दूसरे भाग में पुल से कोकिलबारा की ओर जाने में तकरीबन डेढ़ हजार फीट में सड़क नहीं है। ऐसे में यह पुल जनहित में अनुपयोगी है।

2. हर घर तक नहीं पहुंचा नल का जल:

प्रखंड की विभिन्न पंचायतों के कई वार्डो में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल योजना शुरू हुई। लेकिन, इसका लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। करोड़ों खर्च के बावजूद भी आज भी लोग नल के जल के इंतजार में है। कई जगह सिर्फ पाइप बिछाया गया है तो कई जगह पर सिर्फ टंकी लगा दी गई है। कुछ जगहों पर योजना पूरी भी हो चुकी है।

3. एएनएम के सहारे स्वास्थ्य उप केंद्र: प्रखंड में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र के अलावा सात उप स्वास्थ्य केंद्र है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में न तो पर्याप्त संख्या में चिकित्सक हैं और न हीं कर्मी। बुधनगरा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन विहीन है। वैसे उपकेंद्र बोखरा में 25 स्वीकृत है, जिसमें सात ही कार्यरत हैं। किसी भी उप केंद्र पर चिकित्सक की तैनाती नहीं है। एएनएम के सहारे स्वास्थ्य उप केंद्र संचालित होती है। इसके अलावा गोढौल शरीफ एवं पोखरैरा में पंद्रह वर्षो से तिब्बती

दवाखाना बंद है।

4. सिचाई की नहीं है समुचित व्यवस्था।

बोखरा, नानपुर एवं बाजपट्टी प्रखंड फीसद लोग कृषि पर आश्रित हैं। लेकिन सिचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने से यहां के किसान अपने खेतों की सिचाई निजी पंप सेट से महंगे दर पर कराते हैं या फिर प्रकृति पर आश्रित रहते हैं। यहां के अधिकतर नलकूप विभिन्न कारणों व तकनीकी गड़बड़ी के कारण से वर्षो से बंद पड़े हैं। बंद पड़े नलकूप को चालू करना एवं समुचित सिचाई व्यवस्था नहीं होना किसानों का चुनावी मुद्दा होगा।

क्या कहते हैं लोग

पोखरैरा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मिन्हाज तरन्नुम ने कहती है कि कोकिलबारा गांव में 20 वर्ष पूर्व निर्मित पूल एप्रोच पथ के अभाव में जनहित में बेकार साबित हो रहा है। 20 वर्षो में पुल के दोनों ओर एप्रोच पथ नहीं बन पाना जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है।

पोखरैरा पंचायत समिति सदस्य मछिया देवी, सरपंच लालबाबू साह एवं शंभू राम ने कहा कि के दोनों तरफ से एप्रोच पथ नहीं रहने से पुल की उपयोगिता खत्म हो गई है। एप्रोच पथ बन जाता तो दर्जनों गांवों के लोग कम समय में ही अधिक दूरी तय कर लेंगे।

पूर्व मुखिया सीताराम राय, उखरा के अनिल तिवारी, बागरवन के शंभू प्रसाद सहनी, कुरहर के विनोद ठाकुर, डॉ. राम जानकी राय, सिघाचौरी के शकील अहमद एवं बुधनगरा के गौरव रंजन व अभय कुमार चौधरी के अलावा माहिसौथा के कृष्ण कुमार सिंह पप्पू ने सिचाई की समुचित व्यवस्था कराने एवं बंद पड़े नलकूपों को चालू कराए जाने की किसानों के हित में अत्यंत जरूरी बताया।

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