मां जानकी जन्मभूमि पर छठ पूजा की धूम, उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न
सीतामढ़ी। जगत जननी मां जानकी की प्राकट्यस्थली सीतामढ़ी की धरती पर छठ की मनोरम छटा बिखरी।
सीतामढ़ी। जगत जननी मां जानकी की प्राकट्यस्थली सीतामढ़ी की धरती पर छठ की मनोरम छटा बिखरी। सूर्य की उपासना के त्योहार छठ पर्व के पावन अवसर पर बुधवार को अस्ताचलगामी तो गुरुवार तड़के उदयगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया। बिहार में प्रमुख रूप से मनाया जाने वाला लोकआस्था का यह महापर्व भारी उत्साह एवं उत्सव के वातावरण में धूमधाम से मनाया गया। विभिन्न पूजा घाटों, तालाबों, जलशयों पर लाखों छठव्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया और पूरे भक्तिभाव एवं श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की। इस क्रम में कई व्रतियों ने अपने घरों तथा अपार्टमेंट की छतों पर भी व्यवस्था कर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। शहर के साथ गांव-कस्बों में छठ पर्व की धूम रही। इस वर्ष छठ पर्व की शुरुआत सोमवार को स्नान यानी नहाय-खाय के साथ हुई। इसके बाद मंगलवार को व्रतियों ने 'खरना' का प्रसाद ग्रहण किया। बुधवार को डूबते हुए तथा गुरुवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया।
क्या है मान्यता
मान्यता है कि छठ पूजा से संतान की आयु
लंबी होती है। इस त्योहार में वर्ती महिलाएं शाम को डूबते सूरज की पूजा करती हैं।इसके बाद शाम-सुबह पानी में खड़े रहकर भगवान सूर्य के उगने का इंतजार करती हैं। फिर सूर्य के उगने पर उनकी पूजा-अर्चना कर अपना व्रत खोलती हैं। बता दें कि इस व्रत में महिलाएं माथे तक लंबा सिदूर भी लगाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मांग में सिदूर भरने को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। छठ पूजा में भी महिलाएं सिदूर लगाती हैं। यही कारण है कि व्रत रखने वाली महिलाएं इस पर्व में नाक से लेकर सिर की मांग तक लंबा सिदूर लगाती हैं।