सीतामढ़ी की लीची खरीदने के लिए पटना-दिल्ली से भी व्यवसायी कर रहे संपर्क

सीतामढ़ी। लीची की उन्नत खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण देकर उत्पादन बढ़ाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 11:18 PM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 03:30 PM (IST)
सीतामढ़ी की लीची खरीदने के लिए पटना-दिल्ली से भी व्यवसायी कर रहे संपर्क
सीतामढ़ी की लीची खरीदने के लिए पटना-दिल्ली से भी व्यवसायी कर रहे संपर्क

सीतामढ़ी। लीची की उन्नत खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण देकर उत्पादन बढ़ाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। जिला उद्यान विभाग की ओर से प्रशिक्षण दिया गया। डुमरा के सिमरा स्थित जिला कृषि कार्यलय में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का उदघाटन संयुक्त रूप से आत्मा के परियोजना निदेशक इंद्रजीत मंडल व डीडीएम नाबार्ड संजय चौधरी ने किया। कार्यक्रम के दौरान आजाद हिद कृषक प्रोड्यूसर समूह के सदस्य, शेयर धारक समूह के सदस्य व किसानों को लीची की उन्नत खेती के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। बताया गया कि आनेवाले समय में एफपीओ व एफपीसी द्वारा ही कृषि के उत्पादों को वैश्विक कृषि बाजार से जोड़ा जाएगा। सरकार भी बड़े पैमाने पर इस समूह का गठन करना चाहती है। इससे सभी किसान जुड़कर अपने उत्पादों को उचित मूल्य पर बाजार को उपलब्ध करा सकेंगें। उद्यान के सहायक निदेशक नीरज झा ने बताया कि राज्य उद्यानिकी उत्पाद योजना के तहत 'एक जिला-एक उत्पाद' के रूप में सीतामढ़ी जिला को लीची की खेती के लिए चयन किया गया था। नानपुर ब्लॉक में लीची उत्पाद करने वाले किसानों को भी जोड़कर एक पीएफओं का गठन किया गया है। अभी तक लगभग सौ से अधिक लीची उत्पादक किसान पीएफओ से जुड़ चुके हैं। काम में तेजी लाने के लिए आ•ाद हिद कृषक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के नाम से समूह का रजिस्ट्रेशन भी किया गया है। आनेवाले समय मे नानपुर के जानीपुर में एक पैक हाउस का निर्माण कराया जाएगा। ताकि, सभी किसान अपने उत्पादों को समूह के माध्यम से लीची उत्पाद का मूल्य संवर्धन करके उचित मूल्य पर वैश्विक बाजार को उपलब्ध करा सके। समूह को भविष्य में सभी प्रकार के कृषि लाइसेंस व बिक्री केंद्र को नए स्टार्टअप से टैग किया जाएगा, ताकि एफपीओं अपने पैरों पर खड़ा हो सके। तकनीकी मामले के उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजीकार ने लीची में उन्नत कृषि क्रियाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि यदि उचित बाग प्रबंधन नहीं किया जाए तो लीची उत्पादन में ना केवल कमी आती है बल्कि, फल भी मानक के अनुरूप नहीं तैयार होता है। जिससे फल के मूल्य पर भी असर पड़ता है। इस जिले के सभी लीची उत्पादक समूह में जुड़कर योजना का लाभ उठा सकते हैं। उत्पाद को कही भी अच्छे मूल्य पर बेच सकते हैं। पिछले साल पटना और दिल्ली के कुछ नए व्यापारी वर्ग ने विभाग से संपर्क किया और योजना का लाभ उठाया। इस सी•ान में भी उनके अनुसार उत्पाद को तैयार कर उन्हें बेचा जा सकेगा। इस मौके पर परियोजना सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण राजबहादुर, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण मुन्ना कुमार ने अपने-अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम का संचालन राजभर द्विवेदी तथा नोडल अधिकारी तुषार कांत उपाध्यय ने किया।

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