सुपैना घाट पर नहीं बना पुल, आज भी चचरी और नाव का सहारा

बथनाहा विधान सभा क्षेत्र के सुपैना नदी घाट पर पुल निर्माण की 35 वर्ष पुरानी मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है। बीते लोक सभा चुनाव में स्थानीय लोग इस मुद्दे को लेकर वोट बहिष्कार पर अड़े थे। जिला प्रशासन के अधिकारी गांव में पहुंच कर पुल निर्माण का विश्वास दिलाकर चुनाव संपन्न कराया था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 01:04 AM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 05:04 AM (IST)
सुपैना घाट पर नहीं बना पुल, आज भी चचरी और नाव का सहारा
सुपैना घाट पर नहीं बना पुल, आज भी चचरी और नाव का सहारा

सीतामढ़ी । बथनाहा विधान सभा क्षेत्र के सुपैना नदी घाट पर पुल निर्माण की 35 वर्ष पुरानी मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है। बीते लोक सभा चुनाव में स्थानीय लोग इस मुद्दे को लेकर वोट बहिष्कार पर अड़े थे। जिला प्रशासन के अधिकारी गांव में पहुंच कर पुल निर्माण का विश्वास दिलाकर चुनाव संपन्न कराया था। लेकिन उसके बाद फिर इस पुल के निर्माण ठंडे बस्ते में चला गया। इस बार स्थानीय लोग विधानसभा चुनाव के बहिष्कार के मूड में हैं। सुपैना घाट पर पुल निर्माण नहीं होने से बथनाहा प्रखंड के साथ ही सोनबरसा, परिहार प्रखंड के लोगों को आवागमन करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। प्रखंड के सुपैना गांव की आबादी बथनाहा (सुरक्षित)और परिहार विधानसभा क्षेत्र में बटी है। गांव के लोग अब दो विधायक चुनते हैं। बावजूद अधवारा समूह की झीम नदी पर पुल बनाने की वर्षों पुरानी मांग अब तक पूरी नहीं हो पा रही है। सुपैना गांव की आबादी करीब ढ़ाई हजार है। जिसमे 20 फीसद आबादी परिहार प्रखंड तथा 40-40 फीसद आबादी बथनाहा व सोनबरसा प्रखंड में आता है। अधवारा नदी के सुपैना घाट पर पुल नहीं होने से ग्रामीणों को आवागमन को लेकर भारी परेशानी का का सामना करना पड़ता है। प्रखंड व जिला मुख्यालय जाने के लिए लोग सूखे मौसम में चचरी का तो बरसात के दिनों में नाव का सहारा लेते हैं। नई - नवेली वधू को भी चचरी पर पैदल ही जाना पड़ता है। वही बाढ़ व वरसात के दिनों में जान जोखिम में डालकर नाव से पार कर जाना पड़ता है। इस वजह से दूसरे गांव के लोग इस गांव में अपनी बेटियां की शादी नहीं करना चाहते हैं। हलाकि इस वर्ष ग्रामीणों ने नदी की मिट्टी काटकर डायवर्सन बनाकर आवागमन को थोड़ा सुगम बनाया था। लेकिन यह सुविधा मानसून की पहली बारिश के बाद नदी में आई बाढ़ बहा ले गई।

क्या कहते हैं ग्रामीण:

ग्रामीण उदयशंकर व लालबाबू भगत कहते हैं कि सुपैना घाट पर पुल निर्माण की आस में कई पीढि़यां गुजर गई। लेकिन आज तक पुल निर्माण नहीं कराया गया। यह जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा को दर्शाता है।

उदयशंकर व लालबाबू भगत कहते हैं कि कई चुनाव गुजर गए लेकिन पुल नहीं बना। पुल की मांग को लेकर कई बार धरना -प्रदर्शन भी किया गया। बावजूद जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों सिर्फ आश्वासन हीं देते रहे। आज तक पुल का निर्माण नहीं हुआ।

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