बरसात के पानी को सहेजने में सरकार उदासीन, सिस्टम भी मामले से बेपरवाह

सीतामढ़ी। पुपरी अनुमंडल मुख्यालय में फिलहाल वाटर लेवल कमोबेश ठीक है। लेकिन पानी की हर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 02 Apr 2021 12:07 AM (IST) Updated:Fri, 02 Apr 2021 12:07 AM (IST)
बरसात के पानी को सहेजने में सरकार उदासीन, सिस्टम भी मामले से बेपरवाह
बरसात के पानी को सहेजने में सरकार उदासीन, सिस्टम भी मामले से बेपरवाह

सीतामढ़ी। पुपरी अनुमंडल मुख्यालय में फिलहाल वाटर लेवल कमोबेश ठीक है। लेकिन पानी की हर बूंद कीमती है। आने वाले कल को बचाने के लिए आज जल बचाना जरूरी है। आने वाली पीढ़ी पानी की बूंद-बूंद को न तरसे, इसके लिए हर व्यक्ति को पानी बचाने में अहम भूमिका अदा करनी होगी। नदी, नहर हो या तालाब, अब सिर्फ साल के छह माह ही इनमें पानी देखा जाता है। जबकि जल स्त्रोत का मुख्य साधन कुआं विलुप्त हो गया है। ऐसे में अगर बारिश के पानी को संजोया जाए तो भूजल स्तर को गिरने से बचाने के साथ-साथ पानी से अन्य जरूरतों को भी पूरा किया जा सकता है। लेकिन बरसात के पानी को संजोए रखने के लिए न तो सरकार गंभीर है और ना ही सिस्टम। दिन प्रतिदिन गगनचुंबी इमारतों का निर्माण तेजी से हो रहा है। ये इमारतें भले ही सरकारी हों या निजी, कहीं पर भी बारिश के पानी को जमा करने के लिए कोई तकनीक नहीं अपनाई गई है। स्थिति यह है कि शहर से लेकर ग्रामीण इलाके में इक्के-दुक्के भवन को छोड़ कहीं भी आरडब्ल्यूएच सिस्टम (वर्षा जल संग्रहण प्रणाली) नहीं लगा है। क्या है रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम : भू-जलस्तर को रीचार्ज करने के लिए यह पुरानी तकनीक है, जिसके जरिए बारिश के पानी को रीचार्ज पिट से जमीन में उतारा जाता है। भवन की छत पर जमा पानी को एक पाइप के माध्यम से सीधे ट्यूबवेल में पहुंचाया जाता है। इसमें छत से ट्यूबवेल को जोड़ने वाले पाइप के बीच फिल्टर लगाना आवश्यक होता है। यही नहीं, भवनों में एक चैनल बनाया जाता है जिसका प्रावधान नक्शा में ही कर दिया जाता है। उस चैनल के माध्यम से बारिश का जल भूजलस्तर तक पहुंचाया जाता है। लोग चाहें तो बारिश के जल का उपयोग भी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें ग्राउंड वाटर टैंक बनाना होगा।

सरकार के आदेश का नहीं हो रहा पालन :

सरकर द्वारा खासकर शहरी क्षेत्र के निजी व सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया गया है। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत शुरू की गई इस योजना को सख्ती से लागू करने का निर्देश है। नगर विकास विभाग ने बिल्डिग बाइलॉज में संशोधन कर सभी निर्मित और निर्माणाधीन भवनों के लिए यह अनिवार्य किया है। आदेश नहीं मानने वालों पर जुर्माना लगाने के साथ भवनों को सील किया जाएगा। लेकिन, सरकार के आदेश का सख्ती से पालन नहीं हो रहा। भवन निर्माण के नक्शे में है प्रावधान :

नगर में जब बिना नक्शा के ही बड़े-बड़े भवन बन रहे हैं तो वर्षा जल संग्रहण की बात बेमानी दिख रही है। नियम सरकारी, निजी और वाणिज्यिक सभी तरह के भवनों पर लागू होगा। बिना रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के नए निर्माण के लिए नक्शा पास करने पर रोक का प्रावधान है। यदि कोई इसका उल्लंघन करते पाया जाएगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सौ वर्गमीटर से ज्यादा के क्षेत्रफल वाली सभी इमारतों में सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने वाले भवनों को सील किया जाएगा। नगर आवास विभाग की ओर से नगर निकाय क्षेत्र में ऐसे भवनों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है। हकीकत यह है कि नगर पंचायत में ऐसे भवनों को चिन्हित कर आगे की कार्रवाई ठंडे बस्ते में है। रीडर कनेक्ट :

बारिश के पानी को सहेजने व भू जलस्तर को बनाए रखने के संबंध में जानकारी आप हमें वाट्सएप नंबर 8429020224 पर दे सकते हैं।

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