देखना जल्द ही फिर से इसकी चहक लौट आएगी..
सीतामढ़ी। जिले की साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था कला-संगम के तत्वावधान में रविवार को संस्था के
सीतामढ़ी। जिले की साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था कला-संगम के तत्वावधान में रविवार को संस्था के सक्रिय सदस्य रेणु सिंह के भूपभैरो स्थित आवास पर विचार-गोष्ठी सह कवि-गोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता राम बाबू सिंह वनगांव ने की। संचालन गीतकार गीतेश ने किया। विचार- गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि आज बड़ी ही विषम परिस्थिति है। ऐसी घड़ी में साहित्यकार एवं बुद्धिजीवियों की महती जिम्मेदारी होती है कि वे अपने वैचारिक पहल से समाज में नई ऊर्जा का संचार करें। आज लोगों में जागरुकता लाने की जरुरत है। वक्ताओं में भूपेंद्र सिंह, रेणु कुशवाहा, राम बाबू सिंह, राम नरेश सिंह आदि थे। कवि- गोष्ठी का आगाज करते हुए राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मान से सम्मानित गीतकार गीतेश ने अपनी रचना ''दहशत भरी आंखों में फिर से चमक लौट आएगी, थोड़े दिन और सही सुकून की महक लौट आयेगी, मन का परिन्दा खौफ के तीर से घायल है अभी, देखना जल्द ही फिर से इसकी चहक लौट आएगी'' से लोगों में उम्मीद की रौशनी जला दी। अनिल अंकन ने ''खुद के लिए ये टास्क जरूरी है, जिदा रहने के लिए सावधानी और मास्क जरूरी है, युवा कवि रजनीश रंजन ने अपनी कविता ''माना अभी कोरोना है, हालात पे नहीं रोना है, सावधानी, संयम और विवेक से हर हाल में इसे डुबोना है'' से साहस का संचार किया। भूपेन्द्र सिंह की गजल ''सोचता हूं कि जिदगी कुछ आसान हो जाए तथा रजत देव ने ''''वक्त की हर चुनौतियां स्वीकार कर लेंगे, देखते ही देखते खौफ का दरिया पार कर लेंगे से' लोगों का मनोबल बढ़ाया।