मधुआ कीट के हमले से वीरान हुए आम के बगीचे

बरबीघा। इस बार आम के मौसम में लोकल आम फल मंडियों से नदारद होने की पूरी आशंका जताई जा रही है। इलाके में आम के बड़े-बड़े बगीचों पर मधुआ कीट का संक्रमण आम के मंजरों पर हावी हो गया है। आम के मंजरों को काला पड़ता देख किसानों ने पहले इसे तापमान में उतार-चढ़ाव समझ लिया पर उद्यान विशेषज्ञ एवं कृषि विभाग से जानकारी जुटाने पर आम उत्पादकों को पता चला कि यह मधुआ कीट का प्रकोप है। इससे मंजर सूख कर काला हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 11:35 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 11:35 PM (IST)
मधुआ कीट के हमले से वीरान हुए आम के बगीचे
मधुआ कीट के हमले से वीरान हुए आम के बगीचे

बरबीघा। इस बार आम के मौसम में लोकल आम फल मंडियों से नदारद होने की पूरी आशंका जताई जा रही है। इलाके में आम के बड़े-बड़े बगीचों पर मधुआ कीट का संक्रमण आम के मंजरों पर हावी हो गया है। आम के मंजरों को काला पड़ता देख किसानों ने पहले इसे तापमान में उतार-चढ़ाव समझ लिया पर उद्यान विशेषज्ञ एवं कृषि विभाग से जानकारी जुटाने पर आम उत्पादकों को पता चला कि यह मधुआ कीट का प्रकोप है। इससे मंजर सूख कर काला हो रहा है। फलस्वरूप प्रखंड भर में आम के बगीचे इस बार बिना आम के सूने रह सकते हैं। उत्पादक किसान इससे चितित है। तोयगढ़ निवासी बगीचा मालिक कमल कुमार बिट्टू, प्रिस कुमार, माऊर निवासी इंदुभूषण सिंह आदि आम उत्पादन करने वाले बगीचा मालिकों ने बताया कि मंजर सूख जाने से उन्हें भारी नुकसान हुआ है।

इस संबंध में बागवानी विशेषज्ञ मुकेश सिंह ने बताया कि मंजर आने से पहले आम के पत्तों की चमक से मधुआ कीट के ताकत का अंदाजा मिल जाता है। मंजर आते ही कीट इसका रस चूस लेते हैं और मंजर सूख जाते हैं। मंजर आने के समय इसका इलाज सम्भव न के बराबर होता है। दूसरे सीजन फसलों को इस कीट से बचाने के लिए सीजन के तुरंत बाद आम के पेड़ पर दवाई का छिड़काव हर पन्द्रह दिनों में तीन बार नीचे से ऊपर की ओर की जाए तो इस कीट से निजात पाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि मौसम समय से पूर्व अगर ज्यादा गर्म हो जाता है तो यह मधुआ कीट काफी ताकतवर हो जाते हैं।

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