फाइलेरिया मरीजों को दिया गया रोग प्रबंधन का प्रशिक्षण

शिवहर। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तरियानी में हाथी पांव यानी फाइलेरिया की बीमारी से ग्रसित मरीज

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 12:34 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 12:34 AM (IST)
फाइलेरिया मरीजों को दिया गया रोग प्रबंधन का प्रशिक्षण
फाइलेरिया मरीजों को दिया गया रोग प्रबंधन का प्रशिक्षण

शिवहर। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तरियानी में हाथी पांव यानी फाइलेरिया की बीमारी से ग्रसित मरीजों को घरेलू रोग प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। स्वास्थ्य केंद्र में फाइलेरिया के लगभग 50 मरीजों को प्रशिक्षण के उपरांत किट भी प्रदान किया गया। प्रशिक्षण दे रहे भीबीडीएस बृजकिशोर गुप्ता ने बताया कि सुबह व शाम फाइलेरिया प्रभावित मरीजों को शरीर के अंगों को सामान्य पानी से साबुन लगाकर नियमित साफ-सफाई करनी चाहिए। साथ ही साथ चिकित्सक द्वारा बताए गए व्यायाम विधि को अपनाने से सूजन नहीं बढ़ता। लगातार व्यायाम करने से सामान्य जीवन व्यतीत करने में सहायता मिलती है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजय कुमार ने फाइलेरिया रोगियों को किट में एक एंटीफंगल क्रीम, एक क्रेप बैंडेज, एक मेडिकेटेड साबुन, एक सफेद टावेल व एक-एक बाल्टी-मग दिया। डॉ संजय कुमार ने बताया कि तालाब व पानी जमा होने वाले स्थानों में पनपने वाले मच्छरों के कारण फाइलेरिया रोग फैलता है। इसलिए एक जगह पानी अधिक दिनों तक जमा नहीं होने दें। इस मौके पर केयर के बीएम दीपू श्रीवास्तव, एएनएम नूतन उपस्थित रहीं।

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मच्छरों द्वारा फैलता है फाइलेरिया ::

फाइलेरिया रोग मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर गंदगी वालों जगहों में सबसे अधिक पाया जाता है। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। लेकिन, ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है। इसलिए इसकी रोकथाम बहुत ही आवश्यक है।

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