रीगा चीनी मिल बिकने पर कहां जाएंगे गन्ना किसान और मजदूर

शिवहर । गन्ना किसानों के बकाये राशि का भुगतान चीनी मिल को बेचकर करने संबंधी गन्ना मंत्री के बयान के बाद इलाके के किसानों में आक्रोश है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 11:03 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 11:03 PM (IST)
रीगा चीनी मिल बिकने पर कहां जाएंगे गन्ना किसान और मजदूर
रीगा चीनी मिल बिकने पर कहां जाएंगे गन्ना किसान और मजदूर

शिवहर । गन्ना किसानों के बकाये राशि का भुगतान चीनी मिल को बेचकर करने संबंधी गन्ना मंत्री के बयान के बाद इलाके के किसानों में आक्रोश है। जबकि, चीनी मिल प्रशासन भी मायूस है। ऐसे वक्त में जब रीगा चीनी मिल अगले सीजन में पेराई शुरू करने की तैयारी कर रहा है और गन्ना विकास विभाग गन्ने की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। गन्ना मंत्री के बयान से गन्ना किसानों में आक्रोश है। एक तो सरकार की उदासीनता से पिछली बार चीनी मिल में पेराई सत्र शुरू नहीं हो सका। इसके चलते करोड़ों रुपये का गन्ना बर्बाद हो गया। गन्ना विकास विभाग और प्रशासन की लापरवाही का फायदा बिचौलिए उठा ले गए। यही वजह हैं कि, इस बार सैकड़ों किसानों ने गन्ने की खेती नहीं की है। इलाके में गन्ने की एक बार की खेती तीन साल तक चलती है। वहीं गन्ने का विकल्प भी नही है। ऐसे में अगर मिल बिक भी गया तो भी उससे प्राप्त राशि से किसानों का भुगतान संभव नहीं है। किसानों का कहना हैं कि, अगर सरकार मिल बेचती है तो गन्ने का विकल्प किसानों को दें। किसानों का मानना हैं कि, मिल बेचने के बजाए सरकार मिल प्रबंधन को सहयोग करें ताकि, इलाके की विकास को रफ्तार मिलता रहे। वजह मिल बंद होने के बाद अकेले शिवहर-सीतामढ़ी जिले के 40 हजार से अधिक किसान और इनसे जुडे चार लाख की आबादी प्रभावित हुई है। किसानों को नुकसान हुआ है और मजदूर बेरोजगार हो गए है। इन सबके बीच जब मिल प्रबंधन मिल चालू कराने की दिशा में काम कर रहा है, मंत्री के इस बयान से किसान नाराज है। दूसरी ओर मिल प्रबंधन इस मामले में कुछ कहने से परहेज रख रहा है। वहीं अगले सीजन से मिल चालू करने की बात जरूर कह रहा है।

किसान नेता नागेंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि, मंत्री का यह बयान कही से जायज नहीं है। मंत्री द्वारा गन्ना विकास विभाग की बैठक में इस तरह का बयान देना कही से जायज नहीं है। बताते है कि जिस तरह लौरिया और सुगौली की चीन मिल को भारत सरकार की एचपीसीएल चला रही है उसी तरह रीगा चीनी मिल को भी किसी कंपनी के हवाले कर दिया जाना चाहिए। ताकि, किसानों और मजदूरों का भला हो सके। साथ ही कृषि और विकास की रफ्तार बरकरार रह सके। उधर, शिवहर के सामाजिक कार्यकर्ता मुकुंद प्रकाश मिश्रा बताते हैं कि इलाके में गन्ने की खेती का विकल्प नहीं है। गन्ना किसान और चीनी मिल प्रबंधन एक-दूसरे के पूरक है। किसानों का भुगतान तभी हो पाएगा जब मिल चलेगा और तब मिल चलेगा तभी गन्ने की खेती होगी। वर्ना इलाके का किसान बेमौत मारा जाएगा।

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