जिस अधिकारी ने किया था मामला खारिज, वहीं करेगी सुनवाई

शिवहर । जिले के पुरनहिया प्रखंड के बसंत जगजीवन वार्ड 11 में सेविका पद पर बहाली में गड़बड़ी को लेकर की गई शिकायत को जिस सीडीपीओ ने खारिज कर दिया था वहीं सीडीपीओ शनिवार को डीपीओ की हैसियत से मामले की सुनवाई करेगी। ऐसे में सुनवाई में मामला वादी के पक्ष में आएगा। इस पर सवाल है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 02 Jul 2021 11:42 PM (IST) Updated:Fri, 02 Jul 2021 11:42 PM (IST)
जिस अधिकारी ने किया था मामला खारिज, वहीं करेगी सुनवाई
जिस अधिकारी ने किया था मामला खारिज, वहीं करेगी सुनवाई

शिवहर । जिले के पुरनहिया प्रखंड के बसंत जगजीवन वार्ड 11 में सेविका पद पर बहाली में गड़बड़ी को लेकर की गई शिकायत को जिस सीडीपीओ ने खारिज कर दिया था, वहीं सीडीपीओ, शनिवार को डीपीओ की हैसियत से मामले की सुनवाई करेगी। ऐसे में सुनवाई में मामला वादी के पक्ष में आएगा। इस पर सवाल है। यहीं वजह हैं कि, मामले की वादी बसंत जगजीवन वार्ड 11 निवासी हरिशंकर यादव की पत्नी मीरा भारती ने न्याय नहीं मिलने पर उच्चाधिकारी के समक्ष अपील करने की तैयारी में है। हैरत की बात यह कि, पूरे मामले की फाइल पिछले चार महीने से एक ही अधिकारी के पास घूम रही है।

बताते चले कि, 22 फरवरी को पुरनहिया प्रखंड के बसंत जगजीवन वार्ड 11 मेंआंगनबाड़ी सेविका पद पर बहाली हुई थी। जिसमें पहले और दूसरे स्थान के अभ्यर्थी को छोड़कर तीसरे स्थान की अभ्यर्थी को बहाल कर दिया गया था। मामले को लेकर मीरा भारती ने सीडीपीओ को आवेदन देकर इंसाफ मांगा था। लेकिन सीडीपीओ ने इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद मीरा भारती ने आइसीडीएस डीपीओ को आवेदन देकर इंसाफ मांगा था। हैरत की बात यह कि, जिले में डीपीओ का पद खाली है। डीपीओ का प्रभार पुरनहिया की उसी सीडीपीओ के पास है, जिसने शिकायत को खारिज कर दिया था। वादी मीरा भारती का कहना हैं कि, फरवरी से जुलाई तक मामला एक ही अधिकारी के पास घूम रहा है। ताया कि, पहले नंबर की अभ्यर्थी ने अपना दावा वापस ले लिया था। उसके बाद दूसरे नंबर की अभ्यर्थी का दावा बनता हैं। जिसके बच्चे खुद उस आंगनबाड़ी के पोषण लिस्ट में है। अभ्यर्थी के ससुर की मौत हो चुकी हैं और दादा ससुर जिदा है जिनका मतदाता सूची में नाम है । बावजूद इसके उन्हें, उस वार्ड का निवासी नहीं मानते हुए तीसरे नंबर के अभ्यर्थी को चयनित कर लिया गया था। हालांकि यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व विधानसभा प्रत्याशी संजय संघर्ष सिंह ने कहा कि सीतामढ़ी के बाजपट्टी में ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जहां तीन साल बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर आंगनवाड़ी सेविका की बहाली को निरस्त कर जायज अभ्यर्थी को बहाल किया गया था।

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