पोषण के साथ अक्षर का ज्ञान, बच्चों के लिए वरदान

शिवहर। सदर अस्पताल स्थित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र बच्चों को न केवल नया जीवन प्रदान कर रहा है

By JagranEdited By: Publish:Sat, 03 Apr 2021 12:26 AM (IST) Updated:Sat, 03 Apr 2021 12:26 AM (IST)
पोषण के साथ अक्षर का ज्ञान, बच्चों के लिए वरदान
पोषण के साथ अक्षर का ज्ञान, बच्चों के लिए वरदान

शिवहर। सदर अस्पताल स्थित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र बच्चों को न केवल नया जीवन प्रदान कर रहा है, कुपोषण के खिलाफ जारी जंग में बड़ा हथियार भी साबित हो रहा है। केंद्र में बच्चों को पौष्टिक भोजन के जरिए कुपोषण से बचाया जा रहा है। वहीं अक्षर ज्ञान के माध्यम से मानसिक विकास भी कराया जा रहा है। पिछले नौ महीने में इस केंद्र में 80 से अधिक बच्चों को नवजीवन मिला है।

यहां कुपोषित बच्चों को उनकी मां के साथ 21 दिनों तक रखा जाता है। बच्चों को भोजन के अलावा मिक्स डायट की दवा दी जाती है। एनआरसी में भर्ती बच्चों को आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर व अंडा दिया जाता है। कुल 20 बेड वाले पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में एक साथ 20 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जाता है। अति-कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए केंद्र का संचालन किया जा रहा है। बच्चों को विभिन्न माध्यमों से अक्षर ज्ञान दिया जाता है। खेल-खेल में ही उन्हें पढ़ाया भी जा रहा है।

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बच्चे और मां को आवासीय सुविधा और प्रोत्साहन राशि::::

इस केंद्र पर कुपोषित बच्चों व उनकी मां को आवासीय सुविधा प्रदान की जाती है। मार्गदर्शिका के अनुसार जब बच्चे के वजन में बढ़ोतरी होने लगती है तो उसे 21 दिन पूर्व ही छोड़ दिया जाता है। डायट प्लान तैयार कर इस अवधि में बच्चों को मिक्स डायट की दवा दी जाती है। सही उपचार के साथ पौष्टिक आहार भी निश्शुल्क उपलब्ध कराया जाता है।

संगीता कुमारी और पूजा झा ने बताया कि आंगनबाड़ी सेविका व आशा कुपोषित बच्चों की पहचान कर बेहतर उपचार के लिए एनआरसी पहुंचाती हैं। इसके लिए आशा व सेविकाओं को 250 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है

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तीन स्तर पर होती कुपोषण की जांच ::::

सिविल सर्जन डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में 0 से लेकर 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ही भर्ती किया जाता है। कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए तीन स्तर पर उनकी जांच की जाती है। तीनों जांच के बाद ही बच्चे को कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है। सर्वप्रथम बच्चे का हाइट के अनुसार वजन देखा जाता है। दूसरे स्तर पर एमयूएसी जांच में बच्चे की बाजू का माप 11.5 से कम होना तथा बच्चे का इडिमा से ग्रसित होना शामिल है। तीनों स्तर पर जांच के दौरान कुपोषित बच्चे को भर्ती कर एक महीने तक उपचार के साथ पौष्टिक आहार दिया जाता है।

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बदली आत्यायनी की जिदगी::::

शिवहर : आत्यायनी अपने नन्हें पैरों के सहारे खड़े होकर चलने-फिरने की नाकाम कोशिश एक दिन में कई बार करने लगी है। चेहरे पर बीच-बीच में दिखाई-देने वाली मुस्कुराहट यह बताने के लिए काफी है कि अब वह पहले से काफी अच्छी हो गई है। उसे कोई शारीरिक कमजोरी नहीं है। आत्यायनी की मुस्कान के साथ उसकी मां अंचला कुमारी की खुशी भी झलक रही है। यहां कुछ दिन के इलाज, पोषण आहार के खान-पान, नियमित चिकित्सकीय जांच से आत्यायनी स्वस्थ हो रही है। वर्ना कुछ महीने पहले की ही बात थी। इस केंद्र के माध्यम से आत्यायनी जैसे दर्जनों बच्चों के जीवन में सेहत की बहार सी आई है। कई बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।

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