सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर शिक्षकों का 'लाकडाउन'
शिवहर। शिक्षा के क्षेत्र में सूबे में सबसे अंतिम पायदान पर रहने वाले शिवहर जिले में शिक्षा के सुधार के लिए भले ही पानी की तरह पैसा बहाए जा रहे है।
शिवहर। शिक्षा के क्षेत्र में सूबे में सबसे अंतिम पायदान पर रहने वाले शिवहर जिले में शिक्षा के सुधार के लिए भले ही पानी की तरह पैसा बहाए जा रहे है। लेकिन सिस्टम की बेपरवाही और शिक्षकों की मनमानी के चलते जिले की व्यवस्था बदहाल होकर रह गई है। शिक्षकों की लेट-लतीफी और अक्सर गायब रहना कोई नई बात नही है। लेकिन जिले में कुछ ऐसे भी स्कूल है जहां स्कूल का संचालन और बच्चों का भविष्य शिक्षकों की मनमानी पर निर्भर करता है। तस्वीर है शिवहर जिला मुख्यालय से महज चार किमी दूर पिपराही प्रखंड के परिहारा स्थित संस्कृत स्कूल की। इस स्कूल में अक्सर ताला लटका रहता है। एचएम और शिक्षक फरार रहते है। शिक्षकों के नहीं आने की वजह से अब बच्चों ने आना बंद कर दिया है। कुछ बच्चे आते भी है तो शिक्षक का इंतजार कर चले जाते है। घंटों खेलकूद कर बच्चे घर चले जाते है। शिक्षक आएंगे या नही और स्कूल खुलेगा या नहीं। बच्चों को इसकी कोई जानकारी नहीं है। मानों शिक्षकों ने स्कूल ही नहीं बच्चों के भविष्य पर लाकडाउन लगा दिया है। परिहारा स्थित संस्कृत विद्यालय में पहली से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई की व्यवस्था है। एचएम समेत तीन शिक्षकों पर स्कूल संचालन की जिम्मेदारी है। लगभग दो सौ बच्चों का नामांकन है। स्कूल का भवन भी जर्जर हो गया है। दो कमरे ध्वस्त हो गए है। कक्षा संचालन के लिए स्कूल मैदान का उपयोग होता रहा है। विद्यालय में बेंच-डेस्क एवं ब्लैक बोर्ड जैसी कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में बच्चों को घर से बोरे व चट्टी लाकर पेड़ के नीचे शिक्षक के आने का इंतजार करना पड़ता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुनाथ झा के प्रयास से इस स्कूल की स्थापना की गई थी। बनने के बाद से ही सरकार ने किसी तरह की मदद से हाथ खड़े कर लिए। स्कूल आए पांच-छह बच्चे शिक्षक का इंतजार करते नजर आए। जबकि, चार-पांच बच्चे खेल की मश्ती में डूबे दिखे। बच्चों ने बताया कि कभी-कभी स्कूल खुलता है। शिक्षक भी कभी-कभी आते है। बच्चों की माने तो महीने में एक-दो बार ही स्कूल खुलता है। कोट:::::
मामला संज्ञान में आया है। बीईओ को भेजकर इसकी जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने पर सभी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बच्चों की शिक्षा के प्रति कोताही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा : डॉ. ओमप्रकाश, जिला शिक्षा पदाधिकारी, शिवहर।