बच्चों को भूखे नहीं रखने पर जोर
शिवहर । कोरोना की धमक के बीच जिला प्रशासन के लिए एईएस और चमकी बुखार की चुनौतिया भी कम नहीं हैं।
शिवहर । कोरोना की धमक के बीच जिला प्रशासन के लिए एईएस और चमकी बुखार की चुनौतिया भी कम नहीं हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार अभियान चला रही हैं। सबसे ज्यादा जोर जागरूकता पर है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि अगर लोग जागरूक हुए तो एईएस या चमकी बुखार पर 80 फीसद नियंत्रण पा लिया जाएगा। इसके लिए आशा को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
आशा, सेविका व सहायिका गाव-गाव भ्रमण कर लोगों को बच्चों को भूखे पेट नहीं सोने देने और सोने से पहले बच्चों को कुछ मीठा खिलाने की अपील कर रही हैं। इसके लिए आशा, एएनएम, सेविका, सहायिका, ग्रामीण चिकित्सक व पारा मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया है।
सीएस डॉ. आरपी सिंह का कहना है कि एईएस के दौरान बच्चों में ग्लूकोज की कमी पाई जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए रात में बच्चों को मीठी चीज खिलाने की अपील की जा रही है। एईएस का प्रमुख कारण कुपोषण है। खाली पेट सोने से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में बच्चों को रात में खाली पेट नहीं सोने देना चाहिए। आशा सुषमा कुमारी बताती हैं कि वह गाव के घर-घर में जाकर महिलाओं को जागरूक कर रही हैं। सेविका रूबी गुप्ता बताती हैं कि वह अपने पोषण क्षेत्र में भ्रमण कर जानकारी दे रही हैं। स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी इकाई सिफार के अमित कुमार सिंह बताते हैं कि एईएस व चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जिले में इस बार विशेष काम किया जा रहा है।