आस्था के तट पर दिखा भक्ति का मेला, व्रतियों ने दिया उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य

उदीयमान सूर्य को आस्था का अ‌र्घ्य देने के साथ ही जिले में शक्ति के साक्षात पूजन अर्चन और दर्शन का महापर्व चैती छठ सोमवार को सम्पन्न हो गया। लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व के अंतिम दिन सोमवार की अलसुबह आस्था का सैलाब उमड़ा रहा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 12:31 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 12:31 AM (IST)
आस्था के तट पर दिखा भक्ति का मेला, व्रतियों ने दिया उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य
आस्था के तट पर दिखा भक्ति का मेला, व्रतियों ने दिया उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य

शिवहर । उदीयमान सूर्य को आस्था का अ‌र्घ्य देने के साथ ही जिले में शक्ति के साक्षात पूजन, अर्चन और दर्शन का महापर्व चैती छठ सोमवार को सम्पन्न हो गया। लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व के अंतिम दिन सोमवार की अलसुबह आस्था का सैलाब उमड़ा रहा। जगह-जगह आस्था के तट पर भक्ति का मेला लगा रहा। शहरी क्षेत्र में लोगों ने आंगन और घर की छत पर घाट बनाकर अ‌र्घ्य दिया। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नदी-घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। इसके पूर्व रविवार की शाम अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अ‌र्घ्य दिया गया था। इसके बाद से ही इलाका छठ गीतों से गूंज रहा था। सुबह होते ही श्रद्धालु नदी घाटों की ओर रवाना हुए और उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। इस दौरान विभिन्न नदी, तालाब और सरोवर पर भक्ति का मेला लगा रहा। कमरौली, देकुली, धर्मपुर, चमनपुर, कुशहर, मोहारी, अदौरी, बसंतपट्टी, बेलवा व शिवहर पछियारी टोला समेत विभिन्न इलाकों में नदी-घाटों पर उत्सवी माहौल दिखा। उदयगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन होगया। वहीं व्रतियों का 48 घंटे का निर्जला उपवास भी समाप्त हुआ।

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पिपराही के बेलवा घाट पर दिया गया अ‌र्घ्य

पिपराही : प्रखंड क्षेत्र के बेलवा समेत विभिन्न नदी घाटों पर उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व चैती छठ का समापन हो गया। इस दौरान नदी घाटों पर व्रतियों ने अ‌र्घ्य दिया। वहीं श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखी।

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तरियानी में भी दिखा उत्सव का माहौल

तरियानी, संस : चैती छठ महापर्व पर तरियानी का इलाका भी उत्सव में डूबा रहा। इस दौरान नदी-घाटों पर भीड़ रही। वहीं इलाका भक्ति की चादरों में लिपटा रहा। बागमती नदी तट के अलावा स्थानीय तालाबों पर पहुंचकर व्रतियों ने उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य दिया।

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