जर्जर सड़क और जलजमाव का जख्म बढ़ा रहा शहरवासियों का दर्द
जलजमाव व जर्जर सड़क शिवहर शहर की पहचान बन गई है। शहर की अधिकांश सड़कें ध्वस्त हो गई हैं। वहीं हर गली-मोहल्ला जलजमाव की गिरफ्त में है। इसके चलते रोजाना हादसे हो रहे हैं। हालत यह कि सड़कें जख्म दे रही हैं। पिछले पांच साल से शहरवासी इस दर्द को झेल रहे हैं।
शिवहर । जलजमाव व जर्जर सड़क शिवहर शहर की पहचान बन गई है। शहर की अधिकांश सड़कें ध्वस्त हो गई हैं। वहीं हर गली-मोहल्ला जलजमाव की गिरफ्त में है। इसके चलते रोजाना हादसे हो रहे हैं। हालत यह कि सड़कें जख्म दे रही हैं। पिछले पांच साल से शहरवासी इस दर्द को झेल रहे हैं। लेकिन, जख्मों पर मरहम लगाने की कोई पहल नहीं हो सकी। हालांकि, इसबार विधानसभा चुनाव में जलजमाव और जर्जर सड़क मुद्दा बनता दिख रहा है। लोग अब नेताओं को इस मुद्दे पर घेरने की तैयारी में है। शहर के सरोजा सीताराम अस्पताल जर्जर होकर रह गया है। यहां इलाज कराने आए मरीज व उनके स्वजन सड़क की जर्जरता की वजह से हादसे का शिकार बन रहे हैं। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शिशिर कुमार दर्जनों बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से सड़क के निर्माण व मरम्मत की की मांग कर चुके हैं। लेकिन, कोई सुनने वाला नहीं। शिवहर शहर की दर्जनों छोटी-बड़ी सड़कें जर्जर हो चुकी हैं। जगदीशनंदन सिंह द्वार का इलाका साल के नौ महीने जलजमाव की गिरफ्त में रहता है। वजह यहां निर्मित नाली से पानी का निकास नहीं होता है। नाले का पानी बाहर निकलने की बजाय सड़क पर बहता रहता है। इसके चलते आम जनता का चलना मुश्किल हो जाता है और कारोबारियों के कारोबार पर असर पड़ता है। हल्की बारिश के बाद शहर के दर्जनों मोहल्लों व गलियों की यही स्थिति हो जाती है। जीरोमाइल चौक की सड़क भी क्षतिग्रस्त है। जलजमाव से स्थानीय व्यवसायी व वाहन चालकों के अलावा आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ती है। विहिप जिलाध्यक्ष अशोक उपाध्याय व सामाजिक कार्यकर्ता मुकुंद प्रकाश मिश्र आदि व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं। कहते हैं कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार बनना होगा। तभी आम जनता की परेशानी का निदान संभव है।