जलनिकासी व कूड़ा प्रबंधन के अभाव में छपरा में हर ओर जलभराव

जलनिकासी व कूड़ा प्रबंधन के अभाव में छपरा में हर ओर जलभराव हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 05:01 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 05:01 PM (IST)
जलनिकासी व कूड़ा प्रबंधन के अभाव में छपरा में हर ओर जलभराव
जलनिकासी व कूड़ा प्रबंधन के अभाव में छपरा में हर ओर जलभराव

फोटो 21 सीपीआर 21, 24, 25

- ठोस कूड़ा प्रबंधन को राज्य प्रदूषण बोर्ड के आदेश की चार साल से की जा रही अवहेलना

------------------

- 05 साल पहले से शहर के खनुआ नाले के जीर्णोद्धार का एनजीटी देते रहा है निर्देश

2016 में एनजीटी ने पहली बार खनुआ नाला को पुराने स्वरूप में लाने को कहा था

2017 में राज्य प्रदूषण बोर्ड ने शहर में ठोस कचरा प्रबंधन करने का दिया था आदेश जागरण संवाददाता, छपरा: ज्येष्ठ मास में अषाढ़ वाले बादल रफ्तार में बरसने लगे हैं। सावन-भादो की बारिश आनी अभी बाकी है। वैसे तो आसमान से बरसने वाली मेघ की बूंदें अमृत कहलाती हैं, लेकिन छपरा शहर के लोगों के लिए यह अमृत आफत बन गई है। मानसून की पहली बारिश में ही छपरा शहर पानी से लबालब हो चुका है। कचरे और कीचड़ से बजबजाती बेतरतीब नालियों ने नगर की सड़कों व गलियों को नरक बना दिया है। शहर में न तो जलनिकासी का समुचित प्रबंध है और न ही कूड़ा निष्पादन का ठोस इंतजाम।

कोरोना के विपदा के बीच इस बरसात में यहां रोगवाहक वैक्टीरिया की बाढ़ जैसी महामारी के संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि नगर निगम प्रशासन शहर के जलजमाव से निपटने की हर कोशिश में जुटा है। बहुत हद तक उसे सफलता भी मिली है, लेकिन डबल डेकर पुल निर्माण और खनुआ नाला के जीर्णोद्धार कार्य की धीमी गति निगम के मशक्कत पर पानी फेर रहा है।

खनुआ नाले के जीर्णोद्धार की गति कछुए की चाल

छपरा शहर के जलनिकासी का इकलौता संसाधन खनुआ नाला है। शहर के अधिकतर नाले इसी खनुआ से जुड़े हैं। अकबर शासन काल में निर्मित यह खनुआ नाला इस कदर जाम है कि इससे फिलहाल एक बूंद पानी निकलना संभव नहीं। इस नाले को पुराने स्वरूप में लाने का आदेश दिल्ली की ग्रीन ट्रयूबनल कोर्ट वर्ष 2016 से लगातार देती चली आ रही है। इसके लिए 2015 के अगस्त महीने में स्वंयसेवी संगठन भेट्रन्स फोरम के महासचिव डॉ. बीएमपी सिंह ने एनजीटी में परिवाद दायर की थी।

मामले की लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने 2016 के नवंबर माह में आदेश जारी किया। इसके बाद 2018, 2019 व 2020 में भी एनजीटी ने खनुआ नाला के पुराने स्वरूप में लाने के आदेश निर्गत किए। भेट्रन्स फोरम के लंबे संघर्ष के बाद नाले के जीर्णोद्धार के लिए 29 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ। इस आवंटित राशि से बुडको करीब एक साल से खनुआ नाले के नवनिर्माण में लगा है। निर्माण की गति ऐसी है कि अबतक 25 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया है। नाला पर बने 286 सरकारी दुकान अबतक नहीं तोड़े जा सके हैं। 120 लोगों का अवैध कब्जा इस नाले पर अब भी बरकरार है।

ठोस कूड़ा प्रबंधन निर्देश का नहीं हुआ अनुपालन

छपरा शहर में ठोस कूड़ा प्रबंधन का निर्देश साल 2017 में ही आया था। यह निर्देश एनजीटी के आदेश पर राज्य प्रदूषण बोर्ड ने यहां के शहरी निकाय को दिया था। निकाय का स्वरूप बदल कर नगर परिषद से नगर निगम हो गया। कचरा प्रबंधन का वह आदेश फाइलों में ही दबकर रह गया। प्रदूषण बोर्ड निर्देश दिया था कि शहर के कचरा निस्तारण को डंपिग जोन बनाया जाय। यह डंपिग जोन शहर से बाहर हो। तब योजना यह बनी थी कि यहां के कचरा को उठा कर शहर से बाहर डंप किया जाएगा। उससे खाद बनाकर किसानों को बेचा जाएगा। इस योजना पर आज तक अमल नहीं हुआ। नतीजन कचरा यत्र-तत्र फेंका जाता है। वे कूड़े शहर के नालों को जाम करती रहती है। भेट्रन्स फोरम के महासचिव डॉ बीएमपी सिंह ने इसके लिए भी राज्य प्रदूषण बोर्ड को पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने तय निर्देश के अनुरूप नगर निगम से निर्धारित फाइन वसूलने को कहा है।

शहर की सफाई पर 74 लाख हर माह हो रहे खर्च

शहर की साफ-सफाई के लिए छपरा नगर निगम हर माह माह भारी-भरकम रकम खर्च कर रही है। शहर की सड़कों-गलियों तथा नालों की सफाई से लेकर कचरा प्रबंधन पर निगम हर माह करीब 74 लाख रुपये खर्च कर रही है। बावजूद यह शहर बरसात के पानी में डूबा हुआ है और यहां के आम से खास तक लोग नारकीय जीवन बसर करने को विवश हैं। मोहल्लों के हर घर से डोर-टू-डोर कचरा उठा कर ब्रह्मपुर स्थित डंपिग जोन तक ले जाने के लिए एनजीओ हर महीने 34 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। इस एनजीओ को सूखा व गीला कचरा को अलग-अलग कर डंपिग प्वाइंट पर ले जाना है। लेकिन शहर के लोग बताते हैं कि ऐसा होता नहीं है। --------------

नगर निगम जलनिकासी के काम में पूरे मनोयोग से लगा है और बहुत हद तक शहर की सड़कों-गलियों व मुहल्लों से पानी निकासी हो भी गई है। खनुआ नाला के निर्माण में बुडकों का कार्य और डबल डेकर निर्माण में अनावश्यक विलंब की वजह से नाले जाम हो गए हैं और जलनिकासी कराने में भारी परेशानी आ रही है।

-संजय कुमार उपाध्याय, नगर आयुक्त, छपरा नगर निगम

chat bot
आपका साथी