पुआल-कूड़े खेती का गहना, इसे जलाएं नहीं बल्कि मिट्टी में मिलाए

जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा किसानों के बीच फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी उपलब्ध कराई गई। किसानों से कहा कि फसलों के अवशेष का सही प्रबंधन करें।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 03:30 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 03:30 PM (IST)
पुआल-कूड़े खेती का गहना, इसे जलाएं नहीं बल्कि मिट्टी में मिलाए
पुआल-कूड़े खेती का गहना, इसे जलाएं नहीं बल्कि मिट्टी में मिलाए

जासं, छपरा: जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा किसानों के बीच फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी उपलब्ध करायी गई है। उन्होंने किसानों से कहा है कि फसल अवशेष के सही प्रबंधन से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इससे किसानों के पैदावार में वृद्धि होती है। पुआल-कूड़ा खेती का गहना है। इसे जलाना नहीं बल्कि खेतों में मिलाना है। इसके कई लाभ हैं। मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।

जिलाधिकारी राजेश मीणा के द्वारा दिये गये निर्देश पर जिला कृषि पदाधिकारी ने किसानों के हित के लिए यह जानकारी उपलब्ध करायी है। जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि फसल अवशेष जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते है। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से ही हमारे मिट्टी में कम है, जलकर नष्ट हो जाते है और मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि एक टन पुआल जलाने से तीन किलोग्राम मार्टिकुलेट मैटर, 60 किलोग्राम कार्बन मोनोआक्साइड, 1460 किलोग्राम कार्बन डाईआक्साइड, 190 किलोग्राम राख, दो किलोग्राम सल्फर डाईआक्साइड उत्सर्जित होता है। इसके साथ ही मानव स्वास्थ्य को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन होती है। नाक और गले की समस्या भी आ सकती है। एक टन पुआल को मिट्टी में मिलान कर उसका प्रबंधन किया जाय तो 20 से 30 किलोग्राम नाईट्रोजन, 60 से 100 किलोग्राम पोटाश, पांच से सात किलोग्राम सल्फर के साथ 600 किलोग्राम आर्गेनिक कार्बन प्राप्त होता है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और किसान का पैदावार भी बढ़ जाता है। जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा जिले के सभी किसानों से आह्वान करते हुए कहा गया है कि सभी किसान पुआल का प्रबंधन करें तथा लाभ उठावे। उन्होंने कहा कि पुआल का प्रबंधन करने के लिए उपयोगी कृषि यंत्र का प्रयोग करें। इसके लिए स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड-कम फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर-कम-बाईंडर, स्ट्रों रीपर एवं रोटरी मल्चर का उपयोग किया जा सकता है। इन यंत्रों पर सरकार के द्वारा अनुदान की राशि बढ़ा दी गयी है। -------------

- फसल अवशेष प्रबंधन से बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति

- पराली, पुआल या कचरा जलाने से कम होती है खेतों की उत्पादन क्षमता

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