भारतीय संस्कृति की धरोहर है संस्कृत भाषा

सूबे के विश्वविद्यालयों में नियुक्त संस्कृत प्राध्यापकों की ऑनलाइन संगोष्ठी सोमवार को आयोजित हुई। राज्य में संस्कृत भाषा की दशा और दिशा विषयक संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि भारतीय संस्कृति की धरोहर है संस्कृत-भाषा एवं विषय।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Aug 2020 10:52 PM (IST) Updated:Mon, 24 Aug 2020 10:52 PM (IST)
भारतीय  संस्कृति की धरोहर है संस्कृत भाषा
भारतीय संस्कृति की धरोहर है संस्कृत भाषा

जागरण संवाददाता, छपरा : सूबे के विश्वविद्यालयों में नियुक्त संस्कृत प्राध्यापकों की ऑनलाइन संगोष्ठी सोमवार को आयोजित हुई। राज्य में संस्कृत भाषा की दशा और दिशा विषयक संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि भारतीय संस्कृति की धरोहर है संस्कृत-भाषा एवं विषय। इसके विविध ज्ञान-विज्ञान के विश्वकोष और सर्वांगीण विकास, संरक्षण तथा संवर्धन करने का निर्णय लिया गया। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के पीजी संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ आशुतोष द्विवेदी ने संयोजन में यह संगोष्ठी आयोजित हुई। डॉ. द्विवेदी ने विश्वविद्यालय के संस्कृत विषय के पाठ्यक्रम की समीक्षा सहित संस्कृत विषय के प्रति छात्रों की अरुचि को रेखांकित किया। उसके समाधन के लिए संस्कृत भाषा के साहित्यिक सामाजिक नैतिक वैज्ञानिक और भौगोलिक ज्ञान से जन जन को परिचित कराएं जाने के साथ रोजगार से जोड़ने की बात कही। उन्होंने

पुरातत्व, संगीत, चित्रकला, आयुर्वेद, आदि विषयों का मूल संस्कृत को बताते हुए उक्त विभागों में संस्कृत विषय को शामिल करने की मांग की। विद्यालय एवं महाविद्यालय के पाठ्यक्रम को उनकी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रख कर तैयार करने को कहा है। जिससे विद्यार्थी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा तथा संघ लोक सेवा आयोग में संस्कृत विषय को ले सके। संस्कृत-विषय और छात्रों को आधुनिक-विषय कम्प्यूटर-फ्रैंडली बनाना इत्यादि विषयों पर सहमति जताते हुए संस्कृत-विषयक समस्त समस्याओं तथा उनके समाधान पर गहन मंथन किया गया।

इस मौके पर डॉ. सत्येन्द्र पांडेय, डॉ. हरीश दास, डॉ. कृपाशंकर पांडेय, डॉ. आयुष गुप्ता, डॉ.मनीष कुमार झा, डॉ.संजीत कुमार झा, डॉ. पवन कुमार पांडेय डॉ. विनोद राय, डॉ. नन्द किशोर, डॉ. संजय कुमार चौबे डॉ.ममता मेहरा, डॉ. ललित कुमार मंडल, डॉ .विनय शंकर आदि मौजूद थे।

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