प्रेमचंद्र की कथाएं महिला सशक्तीकरण की मिशाल : कुलपति

जयप्रकाश महिला महाविद्यालय के उर्दू विभाग के तत्वावधान में गुरूवार को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 11:01 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 11:01 PM (IST)
प्रेमचंद्र की कथाएं महिला सशक्तीकरण की मिशाल : कुलपति
प्रेमचंद्र की कथाएं महिला सशक्तीकरण की मिशाल : कुलपति

छपरा। जयप्रकाश महिला महाविद्यालय के उर्दू विभाग के तत्वावधान में गुरूवार को राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। प्रेमचंद के कथा साहित्य में स्त्री विमर्श विषय पर आयोजित वेबिनार का शुभारंभ कुलगीत प्रस्तुत करके किया गया। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फारुख अली ने भी प्रेमचंद के साहित्य पर चर्चा करते हुए कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है । प्रेमचंद ने अपने सभी कहानियां और उपन्यासों में समाज में घटित होने वाली घटनाओं को ,अपने आसपास शहरी और ग्रामीण जीवन को उतारा है। नारी पात्रों में निर्मला, धनिया , जैसे आदि सशक्त नारी चरित्रों के बारे में बताते हुए मानव जीवन में नारी शक्ति के महत्व को बताया।

जय प्रकाश विश्वविद्यालय के प्रीतिकुलपति प्रो. लक्ष्मी नारायण सिंह ने भी नारी के आंगन से लेकर अंतरिक्ष तक के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि यह जीवन नारी शक्ति से गतिमान है।नारी शक्ति ने हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है। उनके उत्थान में ही जग कल्याण निहित है। वेबिनार में मुख्य वक्ता जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के से.नि. प्रोफेसर प्रो.अब्दुल बिस्मिल्लाह ने विषय वस्तु पर चर्चा की और कहा कि के कथा साहित्य में स्त्री विमर्श नहीं केवल स्त्री है। समाज में उसके सकारात्मक बदलाव हेतु सकारात्मक सोच होने की बात पर बल दिया। प्रेमचंद के उपन्यास तथा साहित्य में नारी पात्रों के विभिन्न उदाहरणों के द्वारा उन्होंने नारी के बदलते और विभिन्न रूपों पर चर्चा की और जो बातें प्रेमचंद बहुत पहले कह कर चले गए हैं अपने नारी पात्रों के द्वारा ऐसा लगता है जैसे कोई त्रिकालदर्शी,कोई भविष्यवक्ता ही अपनी बातें कह गया हो। प्रेमचंद की सभी नारी पात्र जीवंत और आज के समाज में प्रासंगिक जान पड़ती हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. मधुप्रभा सिंह ने कहा कि प्रेमचंद की ²ष्टि जिस तरह से साहित्य में महिलाओं के लिए हमेशा से संतुलित और सम्मान देने वाली रही है अगर उनकी इसी ²ष्टि का अनुपालन आज हमारे समाज में हो तो आए दिन होने वाली भयावाह घटनाएं जो हो रही है, शायद वह न हो।वेविनार को दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के सहायक प्रधाध्यपक शा•ायिा उमैर ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रेमचंद पहले ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने नारी पात्र को प्रेमिका के सांचे में नहीं ढ़ाला बल्कि उन्होंने जिदगी के तमाम मुश्किलों और संघर्षों से जूझने वाली एक सशक्त महिला के रूप में गढ़ा। नारी की आजादी की बात केवल नारी ही कर सकती है। धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग की चंचल कुमारी ने की संचालन जेपीएम के उर्दू विभाग की डॉ. अलीना अली मलिक किया। इस मौके पर डॉ. सोनाली सिंह, डॉ. शबाना प्रवीन मल्लिक,डॉ. बबीता बर्धन,डॉ. नीतू सिंह, मुग्धा पांडे नम्रता कुमारी आदि मौजूद थी।

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