कोरोना काल में संकट मोचक की भूमिका में मनरेगा
ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत काम शुरू होने से बाहर से आए लोगो को रोजगार मिल रहा है। उनकी बड़ी समस्या दूर हुई है।
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- ग्रामीण इलाकों में मजदूरो को मिल रही है रोजी-रोटी
संसू, गड़खा : लंबे समय तक लॉकडाउन में विभिन्न राज्यों से आए प्रवासियों के समक्ष रोजी-रोटी का भयंकर संकट उत्पन्न हो गया है। लेकिन ऐसे समय में मनरेगा उनके लिए संकट मोचक की भूमिका निभा रहा है। ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग राज्यों से लौटे प्रवासियों को रोजगार मिल रहा है।
अमनौर प्रखंड के रेपुरा पंचायत में सराय बक्स से होते हुए कटसा पंचायत के समीप तक मनरेगा के तहत बन रही सड़क में काम कर रहे नवल महतो, नंदलाल महतो, मनीष कुमार, गामालाल प्रसाद सहित अन्य ने बताया कि मार्च में जब लॉकडाउन लागू हुआ तो सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरी करने वाले लोगों की हुई। गांव में भूखे मरने जैसे की नौबत आ गई थी। उसी समय शहर से गांव में बड़ी संख्या में मजदूर पहुंच रहे थे। उन मजदूरों के सामने रोजी रोटी की समस्या थी। लेकिन मनरेगा योजनाओं के तहत हमलोगों को काम मिला अब दो वक्त की रोटी भी मिल रही है। मनरेगा के तहत काम कर रहे मजदूरों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। मास्क लगाने के साथ ही मजदूरों के बीच पर्याप्त दूरी का ख्याल रखा जाता है। हाथ धोने के लिए पानी व साबून की व्यवस्था की गई है। स्थानीय बीडीसी मनीष कुमार सिंह व पीआरएस दीपक कुमार अपनी निगरानी में प्रति घंटे सैनिटाइजर का छिड़काव करने के साथ ही मजदूरों के हाथ को सैनिटाइज्ड किया जा रहा है। इस संबंध में मनरेगा पीओ बिनोद प्रभाकर ने बताया कि रेपुरा पंचायत में चल रहा कार्य नियमानुसार कराया जा रहा है। मजदूर को मास्क व सैनिजाइजर दिया गया है। जितने प्रवासी मजदूर बाहर से आए है उनका रोजगार कार्ड बनावाकर मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है।