नवमी पर बंद रहा आमी मंदिर का मुख्य द्वार

कोरोना महामारी की रफ्तार को लेकर सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों को आमजनों के लिए 15 मई तक बंद रखने का फैसला लिया है। जिसे देखते हुए प्रखंड के आमी गांव स्थित शक्तिपीठ मां अंबिका भवानी मंदिर के प्रवेश द्वार भी प्रशासन ने बंद कर रखा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 05:01 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 05:01 PM (IST)
नवमी पर बंद रहा आमी मंदिर का मुख्य द्वार
नवमी पर बंद रहा आमी मंदिर का मुख्य द्वार

सारण। कोरोना महामारी की रफ्तार को लेकर सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों को आमजनों के लिए 15 मई तक बंद रखने का फैसला लिया है। जिसे देखते हुए प्रखंड के आमी गांव स्थित शक्तिपीठ मां अंबिका भवानी मंदिर के प्रवेश द्वार भी प्रशासन ने बंद कर रखा है। हालांकि, चैत्र नवरात्र के रामनवमी पर आमी मंदिर पर श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहा। यहां मंदिर का प्रमुख बड़ा दरवाजा तो बंद था लेकिन, पीछे के दरवाजे से लोग आते-जाते रहे और मां अंबिका की झांकी से दर्शन पूजन कर अपनी मनोकामनाओं के पूर्ण होने की कामना की। रामनवमी पर यहां आयोजित हवन यज्ञ में भी श्रद्धालुओं ने आहूति देकर अगले नवरात्र तक के लिए शुभ मंगल की कामना की। मंदिर पर आने वाले श्रद्धालुओं का संपर्क एक दूसरे से न हो सके। इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा था। वैसे भी उम्मीद से काफी कम श्रद्धालु दर्शन पूजन को पहुंचे थे। जो लोग पहुंचे थे उनका कहना था कि जानकारी नहीं थी कि मंदिर का गेट बंद है। वैसे भी जगत जननी मां से उनकी संतान कैसे दूर रह सकती है। हालांकि, यह विषय दर्शन का है। फिलहाल कोरोना की बढ़ती महामारी को देखते हुए सभी को जागरूक होना होगा। इसके लिए प्रशासन की ओर से भी गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी जा रही है, जिससे की आगे इसकी रोकथाम को कठिन फैसले लेने की नौबत न बन सके। दूसरी ओर दिघवारा नगर पंचायत में कोरोना काल में लगातार दूसरे साल भी रामनवमी पर श्रीराम शोभा यात्रा जुलूस नहीं निकल सका। हालांकि पूरे नगर पंचायत क्षेत्र को श्रीराम भक्तों ने वीर बजरंगी हनुमानयुक्त केसरिया झंडा से पाट दिया है। लोग भी घरों से ही नवरात्र का नवमी पूजा और श्री राम जन्मोत्सव की पूजा किए कोरोना महामारी के शमन के लिए अंबिका मंदिर में हवन किया गया

संसू, दिघवारा : चैत्र नवरात्र के रामनवमी पर आस्था के साथ नौ दिवसीय अनुष्ठान के बाद आमी मंदिर में कोरोना जैसी महामारी के विनाश एवं जनकल्याण के लिए हवन यज्ञ किया गया। मंदिर के पुजारी पंडित प्रेम तिवारी ने कहा कि हवन एक तरह से वैज्ञानिक पद्धति है, जो विषाणुओं को समाप्त करने की क्षमता रखता हैं और विश्व से कोरोना जैसी महामारी के विनाश में अपनी अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि वेदों में मंत्रों को ही साक्षात देवता कहा गया है और मंत्र ही सार्थक होते है। मंत्रों की शक्ति से किसी प्रकार के दोषों को दूर किया जा सकता है। पंडित प्रेम तिवारी ने कहा कि दुर्गा सप्तशती में सभी प्रकार की महामारियों के विनाश के मंत्र उपलब्ध है। देवी कवच, अर्गला व कीलक मंत्रों से शुरुआत की गई है। कहा कि कोरोना भी एक कृमि ही है। इसका विनाश भी मंत्रों से संभव है।

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