सारण में गेंदा के फूल की खेती कर समृद्ध हो रहे किसान
प्रखंड के चंचलिया पंचायत के चंचलिया गांव में आधा दर्जन किसान गेंदा के फूल की खेती करते है। वहां वर्ष 2004 में एक-दो कट्ठा गेंदे के फूल की खेती कर शुरुआत की गई थी। गेंदा के फूल की खेती एक वर्ष में तीन बार गर्मी सर्दी व बरसात के समय की जाती है। जनवरी से अप्रैल मई से अगस्त व सितंबर से दिसंबर में चार-चार माह पर गेंदा के फूल की बुआई होती है।
सारण । प्रखंड के चंचलिया पंचायत के चंचलिया गांव में आधा दर्जन किसान गेंदा के फूल की खेती करते है। वहां वर्ष 2004 में एक-दो कट्ठा गेंदे के फूल की खेती कर शुरुआत की गई थी। गेंदा के फूल की खेती एक वर्ष में तीन बार गर्मी, सर्दी व बरसात के समय की जाती है। जनवरी से अप्रैल, मई से अगस्त व सितंबर से दिसंबर में चार-चार माह पर गेंदा के फूल की बुआई होती है। किसान अम्बिका महतो ने बताया कि जैसे जैसे फूल की मांग बढ़ी, वैसे वैसे दायरा बढ़ते चला गया। अब लगभग 17 वर्षों से आधा दर्जन से अधिक किसान आठ एकड़ में गेंदा के फूल की खेती कर अपने व अपने चार दर्जन से अधिक स्वजनों का जीविकोपार्जन करते हैं। किसान नवीन कुमार ने बताया कि अन्य के अपेक्षा गेंदे के फूल की खेती में ज्यादा आमदनी है। अगर सरकार आर्थिक मदद करती तो और बेहतर तरीके से खेती कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। लेकिन अबतक कोई पहल नहीं की गई है। किसान भोला भगत ने बताया कि गेंदे के फूल के पौधे को बंगाल से मंगाया जाता है। उसके बाद उस छोटे पौधे (चारा) की बुआई की जाती है। वह प्रति हजार छह सौ रुपये में मिलता है। यहां संसाधन की कमी के कारण बीज का उत्पादन संभव नहीं हो पाता है। इसके कारण आज भी ऊंचे कीमत पर बाहर से मंगा कर खेती की जाती है। किसान नवल भगत ने बताया कि अन्य फसल के अपेक्षा इसकी खेती में आमदनी तो है लेकिन मेहनत कुछ ज्यादा है। समय-समय पर पटवन से लेकर कीटनाशक का छिड़काव भी किया जाता है। फसल की उन्नति के लिए जिक,पोटाश,थाइमेक्स व डीएपी मिक्सचर पौधों में दिया जाता है। गेंदे के फूल की खेती देखने बहुत पदाधिकारी आए और आश्वासन देकर चले गए
किसान अजय भगत व अरविद भगत ने बताया कि गेंदे के फूल की खेती का सर्वे करने बहुत से पदाधिकारी आए। इसमें नाबार्ड के उपमुख्य प्रबंधक, डीपीएम, डीएओ, डीडीएम सारण, बीएओ तरैया समेत वर्ल्ड बैंक के कर्मी भी चंचलिया गांव में आकर गेंदे के फूल की खेती का सर्वे कर चुके हैं। उस समय नाबार्ड द्वारा आश्वासन दिया गया था कि पोली कैब या ग्रीन हाऊस बनाकर गेंदे के फूल के बीज का उत्पादन किया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। जून 2020 में फसल क्षतिग्रस्त के लिए आवेदन प्रखंड को दिया गया था, लेकिन आवेदन निरस्त कर दिया गया। वही प्रखंड उद्यान पदाधिकारी द्वारा भी अबतक कोई पहल नहीं की गई है।