अब 10 वर्ष ही प्राचार्य पद पर रहेंगे प्राध्यापक, हाईकोर्ट ने दिया आदेश

जयप्रकाश विश्वविद्यालय समेत सूबे के सभी विश्वविद्यालों के अंगीभूत कॉलेजों में शिक्षक अब दस साल से अधिक प्राचार्य नहीं रह सकते हैं। पटना हाईकोर्ट के न्यायधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने जेपी विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई रामजयपाल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सिद्धार्थ शंकर सिंह की याचिका (सीडब्लूजेसी नंबर -7179/2020) पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 26 Aug 2020 08:39 PM (IST) Updated:Thu, 27 Aug 2020 06:19 AM (IST)
अब 10 वर्ष ही प्राचार्य पद पर रहेंगे प्राध्यापक, हाईकोर्ट ने दिया आदेश
अब 10 वर्ष ही प्राचार्य पद पर रहेंगे प्राध्यापक, हाईकोर्ट ने दिया आदेश

जागरण संवाददाता, छपरा : जयप्रकाश विश्वविद्यालय समेत सूबे के सभी विश्वविद्यालों के अंगीभूत कॉलेजों में शिक्षक अब दस साल से अधिक प्राचार्य नहीं रह सकते हैं। पटना हाईकोर्ट के न्यायधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने जेपी विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई रामजयपाल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सिद्धार्थ शंकर सिंह की याचिका (सीडब्लूजेसी नंबर -7179/2020) पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है।

न्यायधीश ने इस बाबत राजभवन को आदेश दिया वह तीन महीने के अंदर 10 वर्षो से अधिक प्राचार्य पद पर रहने वाले प्राचार्य के बारे में दिशा- निर्देश जारी करें। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रेगुलेशन 2018 के अनुसार कोई शिक्षक पांच साल और पुन: चयन समिति की अनुशंसा पर पांच साल, अर्थात अधिक से अधिक 10 साल तक प्राचार्य रह सकते हैं। उसके बाद उन्हें अपने मूल पद पर जाना होता है।

उल्लेखनीय हो कि रामजयपाल कॉलेज के प्राचार्य ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि उन्हें विश्वविद्यालय एवं राजभवन से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। इसलिए वे कॉलेज में प्राचार्य का कार्य सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने दस वर्षो से अधिक समय तक प्राचार्य के पद पर काम कर लिया है। उन्हें पुन: विभाग में प्राचार्य के वेतन में भेजने का आदेश दिया जाए। इस पर हाईकोर्ट ने राजभवन को यूजीसी के रेगुलेशन का हवाला देते हुए डॉ. सिद्धार्थ शंकर सिंह को उनके विभाग में भेजने और ऐसे जितने भी मामले है, उनमें विश्वविद्यालय को दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया है। इसके बाद से हड़कंप मच गया है। जेपी विश्वविद्यालय में भी प्राचार्य का कार्यकाल 10 साल से अधिक हो गया है।

हालांकि जेपी विश्वविद्यालय में करीब आधा दर्जन ऐसे प्राचार्य हैं जो संबद्ध कॉलेज में शिक्षक थे। यह नियम लागू होने पर इनकी सेवा संबद्ध कॉलेज में चली जाएगी। इनमें कई संबद्ध के शासी निकाय ने उनकी जगह पर नई नियुक्त भी कर ली है। हालांकि जेपीयू के कई प्राचार्यों ने कहा कि वर्ष 2009 में जिन प्राचार्य की नियुक्ति हुई वे सेवानिवृति तक प्राचार्य ही रहेंगे।

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