छपरा में जैसे-जैसे बढ़ी आबादी, वैसे- वैसे खत्म होता गया ड्रेनेज सिस्टम

शहर शुरू से ही ऐतिहासिक व धार्मिक क्षेत्र वाला रहा है। यह व्यवसाय में भी काफी आगे है लेकिन यहां जलजमाव की समस्या बड़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 04:57 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 04:57 PM (IST)
छपरा में जैसे-जैसे बढ़ी आबादी, वैसे- वैसे खत्म होता गया ड्रेनेज सिस्टम
छपरा में जैसे-जैसे बढ़ी आबादी, वैसे- वैसे खत्म होता गया ड्रेनेज सिस्टम

जागरण संवाददाता, छपरा: शहर शुरू से ही ऐतिहासिक व धार्मिक क्षेत्र वाला रहा है। यह व्यवसाय में भी आगे है। यहां व्यापार से लेकर सिंचाई तक के उत्तम प्रबंध थे। शहरी जीवन होने के साथ ही यहां का ड्रेनेज सिस्टम भी विकसित था, क्योंकि छपरा वर्ष 1864 से नगरपालिका का क्षेत्र था। शहर में अकबर कालीन शासन में राजा टोडरमल ने खुनआ नाला (ड्रेनेज सिस्टम) बनवाया था, जो मांझी से डोरीगंज तक, छपरा शहर से होते हुए गुजरता है।

खनुआ नाले के पानी से होती थी सिंचाई

उस समय खनुआ नाले से पानी शहर के उत्तरी क्षेत्र से सिंचाई के लिए खेतों में पहुंचता था। इसका कनेक्शन सरयू नदी से भी था। वहां भी पानी बढ़ने पर पानी को चंवर में छोड़ा जाता था। इसमें छोटी नावें भी चलती थीं। शहर के तालाब भी खनुआ नाले से जुड़े थे। धीरे -धीरे जनसंख्या बढ़ती गई, लेकिन खनुआ नाला के विकास के लिए कुछ नहीं किया गया। इससे यह अपना अस्तित्व खोता गया। पूर्व शिक्षक व समाजसेवी जटी विश्वनाथ मिश्र ने बताया कि 1864 में अंग्रेज नगरपालिका के चेयरमैन होते थे। उस समय करीब 25 हजार नगरपालिका क्षेत्र की आबादी थी। 10-12 वार्ड थे। शहर में सफाई के लिए एक वार्ड में पांच-छह सफाईकर्मियों की तैनाती थी। यह सब जिक्र सारण गजेटियर में भी है।

17 वर्ग किमी में फैला है छपरा शहर

छपरा शहरी क्षेत्र वर्तमान में 17 वर्ग किमी मीटर में फैला है। 2001 में छपरा शहर की जनसंख्या एक लाख 79 हजार 231 थी। वहीं 2011 में 2 लाख 49 हजार 556 एवं 2018 में छपरा शहर की कुल जनसंख्या चार लाख 88 हजार 701 हो गई।

1996 में नाले पर बना दी गईं दुकानें

वर्ष 1995-96 में तिनकोनिया सरकारी बाजार से लेकर साढ़ा ढाला तक जिला प्रशासन ने खनुआ नाले के ऊपर दुकानों का निर्माण करा दिया। इसके बाद से खनुआ नाले की सफाई ही बाधित हो गई है। खनुआ नाला जाम होने से शहर का पूरा ड्रेनेज सिस्टम ही ध्वस्त हो गया है। इसके कारण हल्की बारिश में भी यहां जलजमाव की स्थिति बन जाती है। उसके अलावा अन्य लोगों ने भी शहरी क्षेत्र में खनुआ नाला पर अतिक्रमण किए जाने से यह संकीर्ण हो गया है। शहरी क्षेत्र के तालाब व पोखर से इसका कनेक्शन भी खत्म हो गया। इसके कारण जलनिकासी व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। इसके कारण जलजमाव की समस्या बढ़ गई है। दुकानें बनने से सड़क पर भी जाम की स्थित हो गई है। --------------

- खनुआ नाले पर दुकान बनाने से नाले की सफाई हो गई बाधित

- शहर के अधिकांश मोहल्लों में बरसात में दिखता है बाढ़ का नजारा

- 1864 से नगरपालिका क्षेत्र है छपरा, लेकिन नहीं हो सका समुचित विकास

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