सारण जिले में बारिश में गल गए धान के बिचड़े, अब रोपाई में विलंब तय

मानसून मेहरबान है और सारण में लगभग हर रोज बारिश हो रही है। धान की रोपाई का वक्त आ गया है और अभी धान की रोपनी शून्य है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Jun 2021 05:02 PM (IST) Updated:Sat, 26 Jun 2021 05:02 PM (IST)
सारण जिले में बारिश में गल गए धान के बिचड़े, अब रोपाई में विलंब तय
सारण जिले में बारिश में गल गए धान के बिचड़े, अब रोपाई में विलंब तय

जागरण संवाददाता, छपरा : मानसून मेहरबान है और सारण में लगभग हर रोज बारिश हो रही है। तूफानी व मानसूनी बारिश को मिलाकर शुक्रवार की शाम तक 375.91 मिली मीटर बारिश रिकार्ड किया गया। खेती-किसानी के लिए अमृत की बूंदे माने जाने वाली यह बारिश जिले के खेतीहरों के लिए आफत बन गई है। धान की रोपाई का वक्त आ गया है और अभी धान की रोपनी शून्य है। कारण यह है कि आधा से अधिक धान के बिचड़े बारिश के पानी में गल कर बर्बाद हो चुके हैं। अब किसान फिर से बिचड़ा डाल रहे हैं, जिससे रोपाई में विलंब होना तय है। साथ ही यह भी तय है कि विलंब से रोपाई गई धान का सीधा असर इसके उपज पर पड़ेगा। जिले में 83 हजार हेक्टयर भूमि में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए 83 सौ हेक्टेयर में धान के बिचड़े के आच्छादन का लक्ष्य बनाया गया था। कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार अबतक 5820 हेक्टेयर में बिचड़ा डाला गया है। यह लक्ष्य का 70.12 प्रतिशत है। बारिश में बिचड़ा बर्बाद होने का कृषि विभाग के पास कोई सही आंकड़ा नहीं है। लेकिन किसानों की मानें तो आधे से अधिक डाले गये बिचड़े बारिश में बर्बाद हो चुके हैं। मध्यम अवधि धान की रोपाई का वक्त सात जुलाई तक कृषि वैज्ञानिक डा. रत्नेश झा बताते हैं कि मध्यम अवधि वाले धान जया पीआर 106, एचकेआर 120, 127 व पूसा रोपाई का माकूल समय 15 जून से सात जुलाई तक है। वहीं कम अवधि में तैयार होने वाली धान के किस्मों आईआर 64, एचकेआर 46 व 47 तथा गोविद आदि किस्मों की रोपाई का सही वक्त जुलाई महीने के अंत तक है। जबकि सभी तरह के बासमती किस्मों जैसे तरावड़ी बासमती, बासमती 370, पूसा बासमती नंबर वन, पूसा 1121, सुगंध 5 व 6 पूसा 1509 व पेप्सी तथा सीएसआर 30 आदि की रोपाई का वक्त जुलाई महीने के पहले पखवारे तक का है। धान की सीधी बोआई का निकलता जा रहा है वक्त धान की सीधी बुआई करने वाले किसानों को अब देर करने की जरूरत नहीं है। इसका सही समय 20 मई से 30 जून ही माना जाता है। ऐसे में सीधी बुआई का वक्त अब निकलता जा रहा है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि धान की यह बोआई बलुई, दोमट व भारी चिकनी मिट्टी वाले खेतों में ही करनी चाहिए। सीधी बोआई वाले खेतों का समतल होना बहुत आवश्यक है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस बुआई के लिए धान की सामान्य प्रजातियों के बीज की मात्रा 40-50 किलो प्रति हेक्टेयर व शंकर धान की बीज 15-10 किलो प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए। हल्की जुताई कर ही धान की सीधी बुआई करनी चाहिए।

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धान की रोपाई जिले में अभी शुरू नहीं हुई है। बिचड़ा निर्धारित लक्ष्य के 70 प्रतिशत से अधिक भूमि में लगाया गया है। जहां तक धान के बिचड़ा का बारिश से नुकसान का प्रश्न है तो यह नुकसान हुआ है। इस नुकसान का सही आंकलन किया जा रहा है और इसमें विभाग के अफसर व कर्मचारी लगे हुए हैं।

- डा. केके वर्मा, जिला कृषि पदाधिकारी, छपरा।

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फोटो 26 सीपीआर 14

- रोपाई के वक्त किसान दोबारा डाल रहे बिचड़ा, 83 हजार हेक्टेयर में होनी है खेती

- मध्यम अवधि के 7 जुलाई व कम अवधि के अगले माह के अंत तक है रोपाई का वक्त

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- 83 सौ हेक्टेयर में धान के बिचड़े के आच्छादन का लक्ष्य रखा गया है जिले में

- 5820 हेक्टेयर में डाले गए थे बिचड़े, आधा पानी में डूबकर हो गये बर्बाद

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