बहादुरपुर पटोरी के महादेव स्थान पर आराधना से सारे मनोरथ हो जाते हैं पूर्ण

समस्तीपुर। शाहपुर पटोरी रेलवे स्टेशन से लगभग सवा 2 किलोमीटर दूर पूरब की ओर एक गांव है बहादुरपुर पटोरी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 11:44 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 11:44 PM (IST)
बहादुरपुर पटोरी के महादेव स्थान पर आराधना से सारे मनोरथ हो जाते हैं पूर्ण
बहादुरपुर पटोरी के महादेव स्थान पर आराधना से सारे मनोरथ हो जाते हैं पूर्ण

समस्तीपुर। शाहपुर पटोरी रेलवे स्टेशन से लगभग सवा 2 किलोमीटर दूर पूरब की ओर एक गांव है बहादुरपुर पटोरी। इस गांव के मध्य में स्थित है महादेव स्थान। अत्यंत पौराणिक महत्व वाले इस स्थान की महत्ता इतनी है कि लोगों में अपने अराध्य के प्रति एक धार्मिक आस्था स्वत: उत्पन्न होती है। लोगों में ऐसी मान्यता है कि यहां पर आने वाले कभी खाली हाथ वापस नहीं लौटते। सच्चे मन से की गई इस महादेव स्थान पर आराधना से सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। मंदिर का इतिहास

इस मंदिर के विषय में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। गांव के बुजुर्ग की मानें तो एक किसान ने अपनी जमीन पर कुदाल चलाई तो यहां स्वत: जमीन से भगवान शंकर की उत्पत्ति हुई थी। लोग कहते हैं कि कुदाल के कारण उस पत्थर से इतना अधिक रक्तस्त्राव हुआ था कि पूरी मिट्टी लाल हो गई थी। बाद में गांव के लोगों ने भगवान के उस शिवलिग की स्थापना कर दी। यहां लगभग लोग दूर दराज से आकर पूजा अर्चना करते हैं तथा अपनी मनोकामना पूर्ण होने की मन्नत भी मानते हैं। बाद में पंचायत की योजना से भी मंदिर परिसर में चबूतरा निर्माण तथा अन्य कार्य कराए गए। मंदिर की विशेषता

ग्रामीण बताते हैं कि इस स्थान को बुढ़वा महादेव स्थान भी कहा जाता है। यहां पर सावन माह में विशेष पूजा का आयोजन होता है और प्रत्येक सोमवार के दिन यहां भगवान का श्रृंगार किया जाता है। साथ ही हर सोमवार की शाम में एक गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। जिसमें रामायण तथा भजन कीर्तन के कार्यक्रम होते हैं। यहां बसंत पंचमी के दिन भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसके अतिरिक्त साल के प्रत्येक दिन यहां पर लोगों का तांता भगवान के जलाभिषेक के लिए लगा रहता है। कहते हैं पुजारी

फोटो : 05 एसएएम 02

देवों के देव महादेव की आराधना से सारे संताप नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं लोगों को उनके मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं और भगवान शिव की दया से रोग, भय, दु:ख आदि से मुक्ति मिलती है। श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। इस अवसर पर पूजा से लोगों को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

पंचानंद गिरि, मुख्य पुजारी

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