जूट मिल तालाबंदी के खिलाफ मजदूरों ने आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन
समस्तीपुर। रामेश्वर जुट मिल में पिछले दो वर्षो से गैर कानूनी तरीके से की गई तालाबंदी के खिलाफ मजदूरों ने समाहरणालय पर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया।
समस्तीपुर। रामेश्वर जुट मिल में पिछले दो वर्षो से गैर कानूनी तरीके से की गई तालाबंदी के खिलाफ मजदूरों ने समाहरणालय पर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया। इससे पूर्व शहर में जुलूस भी निकाला। जुलूस के दौरान इसमें शामिल मजदूरों ने जबरन दुकानें भी बंद कराई। इस दौरान कई जगहों पर दुकानदारों से झड़प हुई। कचहरी से लेकर काशीपुर तक जबरन दुकान बंद कराने के साथ-साथ तोड़फोड़ भी की गई। इसको लेकर दुकानदार आक्रोशित हो गए। दोनों तरफ से पथराव शुरू हो गया। सेक्टर मोबाइल पुलिस के साथ भी अभद्र व्यवहार किया गया। इस सूचना पर पहुंची नगर थाना समेत अन्य थाना की पुलिस ने तोड़फोड़ एवं उपद्रव फैलाने वालों पर लाठी चार्ज किया। पुलिस ने उपद्रवियों को दूर तक खदेड़ा। इसके बाद सभी वहां से सभी उपद्रवी भागे।
बताया जाता है कि पंचायत समिति सदस्य सूरज कुमार के नेतृत्व में काफी संख्या में मजूदर एवं उनके परिजनों के द्वारा सोमवार का शहर में जुलूस निकाला। जुलूस में कई ऐसे लड़के भी शामिल थे, जो उपद्रव मचाते हुए चल रहे थे। जबरन दुकानें बंद भी शामिल हुए। कल्हुआ मंदिर से निकलकर यह मार्च पंसस सूरज कुमार की अगुवाई में शुरू हुआ। मार्च में शामिल लोग हर हाल में जुट मिल चालू कराने की मांग कर रहे थे। वहीं जुट मिल नहीं चालू होने पर आसन्न लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही। डीएम, एसडीओ और अन्य पदाधिकारियों को कई बार दिए आवेदन के बावजूद जब कार्रवाई नहीं हुई तो मजदूरों ने प्रदर्शन कर समाहरणालय का घेराव किया। जुलूस कल्हुआ मंदिर से निकलते हुए मुसेपुर, झिल्ली चौक, मगरदही घाट, मारवाड़ी बाजार, रामबाबू चौक, चीनी मिल चौक होते हुए एसडीओ कार्यालय के समक्ष ओबरब्रिज को जाम करने के बाद समाहरणालय के मुख्य द्वार पर प्रर्दशन करते हुए जाम कर दिया। दोनों रूट जाम होने के कारण वाहनों की लंबी कतार लग गई। जुट मिल के मजदूर अपनी मांगों के समर्थन में प्रशासन से मिल चालू कराने की मांग कर रहे थे।
डीएम को ज्ञापन देकर रखी मांगे
अपनी मांगों के समर्थन में जूट मिल के मजदूरों ने डीएम को ज्ञापन सौंपा। जिसमें मिल को अविलंब चालू करने, दस वर्षो की ग्रैच्यूटी की बकाया राशि मजदूरों को देने, बकाया बोनस और पीएफ को ब्याज के साथ भुगतान करने, जुट मिल प्रबंधक के द्वारा किए जा रहे मजदूरों के शोषण को बंद करने समेत अन्य मांगें की। इसमें सुदर्शन पासवान, फन्नू पासवान, सहदेव महतो, विझा देवी, शंकर पासवान, राजन पासवान, धरम प्रसाद शर्मा, बबलू महतो, सुरेन्द्र राय, सगुनी देवी, वैजयंती देवी, शीला देवी, दाहोदी देवी, हरि सहनी समेत कई जुट मिल के मजदूर शामिल थे।