पुरुषों पर भारी पड़ीं महिलाएं, लोकतंत्र में सक्रिय भागीदारी
लोकतंत्र का महापर्व मतदान होता है। भारतीय संविधान में देश के हर नागरिक को अपना एक मत देने का अधिकार दिया गया है। चाहे वह राजा हो या रंक गरीब हो या अमीर। सभी के वोट की ताकत एक जैसी है।
समस्तीपुर । लोकतंत्र का महापर्व मतदान होता है। भारतीय संविधान में देश के हर नागरिक को अपना एक मत देने का अधिकार दिया गया है। चाहे वह राजा हो या रंक, गरीब हो या अमीर। सभी के वोट की ताकत एक जैसी है। देश के प्रधानमंत्री को भी एक वोट गिराने का अधिकार है और गांव के अदने से व्यक्ति को भी। पांच साल में यह अवसर हर नागरिक को मिलता है। समस्तीपुर के सांसद रामचंद्र पासवान के निधन के कारण महज पांच माह बाद ही फिर से यहां के लोगों को मतदान करना पड़ रहा। अपनी पसंद के उम्मीदवार चुनने का मौका मिला है।
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लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की चाह
सोमवार को भी यही अवसर था। समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र में मतदान सुबह सात बजे से ही प्रारंभ हो गया। लोकतंत्र के इस यज्ञ में अपनी वोट रूपी आहूति देने के लिए हर कोई घर से निकलकर बूथों पर पहुंच रहा था। हाथ में मतदाता पर्ची और पहचान पत्र लिए सभी अपना वोट गिराने के लिए जा रहे थे। ऐसे में भला नारी शक्ति कैसे पीछे रह सकती हैं। वारिसनगर के मध्य विद्यालय हांसा पर सज-धजकर महिलाएं समूह में बूथ की ओर जा रही थीं। लोकतंत्र के उत्सव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाह रही थीं। वे अपना मतदान कर अपने पसंद का उम्मीदवार चुनना चाह रही थीं। यही हाल अन्य बूथों का भी रहा। वासुदेवपुर, अकबरपुर, वीरसिंहपुर, कल्याणपुर समेत अन्य स्थानों के बूथों पर मतदाताओं की भीड़ दिखी। इसमें पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। महिलाओं का जोश और उत्साह देखते ही बनता था। रजिया देवी हाथ में मतदाता पहचान पत्र दिखाते हुए कहती हैं कि आधा घंटे से लाइन में हैं। वोट गिराकर ही वह घर जाएंगी। उनके पीछे सबीना खातून, शीला देवी, सीता देवी भी खड़ी थीं। ये सभी वोट गिराने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थीं। पुलिस पदाधिकारियों और जवानों द्वारा सभी को कतार में रहने की हिदायत दी जा रही थी।