पहले जैसा गांव कहां, सुनसान पड़ी पगडंडी
कुसुम पांडे साहित्य संस्थान के द्वारा केंद्रीय विद्यालय के निकट कुसुम सदन में रविवार को काव्य का आयोजन हुआ। इसमें देर तक श्रोता साहित्य की रसधार में गोता लगाते रहे।
समस्तीपुर । कुसुम पांडे साहित्य संस्थान के द्वारा केंद्रीय विद्यालय के निकट कुसुम सदन में रविवार को काव्य का आयोजन हुआ। इसमें देर तक श्रोता साहित्य की रसधार में गोता लगाते रहे। श्रोताओं में भी भक्तिभाव की भावना हिलोरे मारती दिखी तो कभी प्रेम मोहब्बत में सराबोर दिखे। कवियों ने हास्य व्यंग पर भी खूब तालियां बटोरी और श्रोता हास्य की फुहार में ठहाके लगाते रहे। देर रात सदन तालियों की गरगराहट से गूंजता रहा। उदय शंकर चौधरी नादान की रचना संबंधों के बीच कहां अब वह भाव समर्पण है, स्पंदित हो रहा हृदय श्रांत क्लांत मेरा मन है। और शिवेन्द्र कुमार पांडे की रचना सब कहते हैं हम लगते हैं हरदम मुस्कराते, परेशान हैं हम अपने दिल का दर्द छुपाते, को लोगों ने खूब सराहा। वहीं ओम प्रकाश ओम की रचना ढूंढ रहा हूं लेकिन अब है पहले जैसा गांव कहां, पगडंडी सुनसान पड़ी है पीपल की वह छांव कहां पर खूब तालियां बटोरी। डॉ. सुनील कुमार श्रीवास्तव चम्पारणी ने अपनी रचना पहले इंसान में भगवान न•ार आता था, आज आदमी में बस कोरोना न•ार आता है। कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों के बीच बढ़ रही दूरी को लेकर चिता व्यक्त की। डॉ. ब्रह्मदेव प्रसाद कार्यी की रचना जवानी इधर है, जवानी उधर है, न चिता किसी की, किसी का न डर है श्रोताओं को प्रेम मुहब्बत के रंग में सराबोर कर दिया। जग मोहन चौधरी के रचना पगडंडी से चल कर भी रच सकते इतिहास, संकल्प यदि परिवर्तन का लेकर हो प्रयास को लोगों पर खूब तालियां बटोरी। इसके अलावे विशिष्ठ राय वशिष्ठ की रचना पहले शहर जाकर बसा, रंजीत कुमार मेहता बेधड़क की रचना आन पड़ी है विपदा भारी, दूर करें प्रभु यह महामारी, प्रवीण कुमार चुन्नु की रचना गया दशहरा गई दिवाली श्रोताओं का खुब मनोरंजन किया। कार्यक्रम के शुरुआत में काव्य पाठ बाल कवि आयुष्मान पंसारी द्वारा गुरु नानक देव जी के चरणों में समर्पित एक भजन प्रस्तुत किया। इसके बाद देर रात तक कार्यक्रम में राष्ट्रीय एकता, रोमांटिक गीत, ग़•ाल, हास्य- व्यंग आदि पर केन्द्रित रचनाएं विशेष रूप से छाई रही। भोजपुरी तथा बज्जिका की रचनाओं की प्रचुरता रही। इसके उपरांत डॉ परमानन्द लाभ की कृति जब काम की आंधी आती है का लोकार्पण भी समवेत रुप से किया गया। रचनाकारों ने नवंबर माह में उत्पन्न हिन्दी साहित्य के मनीषियों पोद्दार राम अवतार अरुण, सच्चिदानंद नंद, मोहन लाल महतो वियोगी,राय कृष्णदास, सुदामा पाण्डेय धूमिल, गजानन माधव मुक्तिबोध, डॉ हरिवंशराय बच्चन, अल्लामा इक़बाल आदि के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर विशद चर्चा करते हुए उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध पर्यावरण विद बशिष्ठ राय वशिष्ठ ने की। मौके पर वरिष्ठ रचनाकार रंजीत कुमार मेहता बेधड़क, प्रवीण कुमार चुन्नु, विष्णु कुमार केडिया, डा. परमानन्द लाभ, राम लखन यादव आदि मौजूद रहे।