लॉकडाउन के समय भी रोसड़ा की सड़कों पर जाम का नजारा
कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा भले ही लॉकडाउन लगाया गया हो लेकिन रोसड़ा की सड़कों पर दिख रहा जाम का नजारा सरकार के उद्देश्य को अंगूठा दिखाता ही नजर आ रहा है।
समस्तीपुर । कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा भले ही लॉकडाउन लगाया गया हो, लेकिन रोसड़ा की सड़कों पर दिख रहा जाम का नजारा सरकार के उद्देश्य को अंगूठा दिखाता ही नजर आ रहा है। सोमवार को सुबह से ही सिनेमा चौक से महावीर चौक के बीच वाहनों का परिचालन इतना बढ़ा था की जगह जगह काफी देर तक जाम की स्थिति बनी रही। 9 बजे से दोपहर करीब 12 बजे तक मुख्य सड़क के अलावा गुदरी बाजार में भी आम लोगों एवं वाहनों की भीड़ लगी रही। बताते चलें कि प्रतिदिन 7 से 11 बजे तक आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खुलने के कारण बाजार में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की अपार भीड़ लगती है। खासकर सब्जी मार्केट एवं मेन बाजार में लोगों की आवाजाही सर्वाधिक रहती है। जिसके कारण जगह जगह जाम लगा रहता है। आवागमन की समस्या भी बनी रहती है। प्रतिदिन लगने वाली भीड़ से कोरोना संक्रमण के प्रसार का आशंका भी प्रबल बना रहता है। बावजूद ना तो दुकानदार द्वारा ही गाइडलाइन का पालन कराया जाता है, और ना ही प्रशासन ही इस ओर विशेष नजर देती है। यदि यही स्थिति जारी रहा तो कभी भी रोसड़ा में कोरोना का विस्फोट होना संभव है।
रोसड़ा में कोरोना संक्रमण से मौत का सिलसिला जारी
रोसड़ा में कोरोना संक्रमण से मौत का सिलसिला लगातार जारी है। सोमवार को भी कोरोना ने दो लोगों की जान ले ली। जिसमें एक भाजपा के पूर्व महामंत्री शहर के वार्ड नंबर 15 निवासी अमीन अशोक पटवा तथा दूसरा चकथात पश्चिम पंचायत के मुखिया मीना देवी के पति मनोज सिंह शामिल हैं। दोनों के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। अशोक पटवा के निधन पर नगर परिषद के अध्यक्ष श्याम बाबू सिंह ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें एक कुशल अमीन तथा व्यवहारिक व सामाजिक व्यक्ति बताया है। संवेदना व्यक्त करने वालों में नगर भाजपा अध्यक्ष मोहन पटवा, दिनेश कुमार झा, अमर प्रताप सिंह, अशोक पंजियार, संजय सिंह, राजेश साह, कृष्ण कुमार झा, धीरज पूर्वे, शैलेंद्र झा एवं पंकज सिंह आदि शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर दामोदरपुर निवासी मनोज कुमार सिंह की आकस्मिक निधन पर संपूर्ण पंचायत में शोक की लहर दौड़ गई है। मुखिया मीना देवी समेत स्वजनों का रो- रो कर बुरा हाल है। बताते चलें कि अब तक रोसड़ा के करीब एक दर्जन लोग कोरोनारूपी काल के गाल में समा चुके हैं।