निगरानी की फिल्डिग व रिश्वत के लोभ में आउट हुए दो-दो भ्रष्ट अधिकारी

समस्तीपुर। भ्रष्ट अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए निगरानी टीम ने मंगलवार की सुबह से ही अपना जाल बिछा रखा था। मथुरापुर थाना परिसर के बाजार समिति मार्केट के अंदर अपने वाहनों पर बैठे निगरानी विभाग के धावा दल बस अवसर की तलाश में थे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 12:04 AM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 12:04 AM (IST)
निगरानी की फिल्डिग व रिश्वत के लोभ में आउट हुए दो-दो भ्रष्ट अधिकारी
निगरानी की फिल्डिग व रिश्वत के लोभ में आउट हुए दो-दो भ्रष्ट अधिकारी

समस्तीपुर। भ्रष्ट अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए निगरानी टीम ने मंगलवार की सुबह से ही अपना जाल बिछा रखा था। मथुरापुर थाना परिसर के बाजार समिति मार्केट के अंदर अपने वाहनों पर बैठे निगरानी विभाग के धावा दल बस अवसर की तलाश में थे। दोपहर करीब एक बजे पीड़ित शिकायतकर्ता रुपये लेकर ओपी कार्यालय पहुंची और ओपी प्रभारी संजय कुमार के हाथों में रिश्वत के 25 हजार रुपये दिए। अचानक धावा दल ने ओपी प्रभारी के कार्यालय में दस्तक दे दी। निगरानी टीम को देखते ही ओपी प्रभारी के होश उड़ गए। वे कार्यालय से निकलकर भागने लगे। वहां खड़े पुलिस कर्मी को कुछ समझ नहीं आया। पीछा कर निगरानी टीम ने प्रभारी संजय कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया। आसपास काफी संख्या में लोगों की भीड़ जुट गई। बाद मे स्थानीय लोगों को घटना की जानकारी मिली।

प्रखंड कार्यालय खुलते ही पहुंच गए थे कर्मी

वारिसनगर प्रखंड कार्यालय खुलते हीं निगरानी विभाग के तीन डीएसपी तथा तीन इंस्पेक्टर पांच गाड़ी से प्रखंड चौक स्थित पावर हाउस ग्राउंड में पहुंचकर पार्टी को 20 हजार रुपये रुपए देकर सीओ के कक्ष में भेजा। सीओ जब पार्टी से रुपए ले रहे थे तो निगरानी विभाग की टीम ने कक्ष में घुसकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सादे लिबास आए निगरानी विभाग की टीम सीओ को गिरफ्तार कर अपने साथ ले कर चली तो प्रखंड आरटीपीएस काउंटर के पास खड़े अंचल गार्ड गिरधर झा ने सीओ को कुछ लोगो द्वारा पकड़कर ले जाते देख उन्हे छुडाने के लिए दौड़े लेकिन लोगों द्वारा खुद को निगरानी विभाग का अधिकारी होने की जानकारी दी गई तो वे वापस पीछे हट गए। --------------------------------------------

भूमि विवाद संबंधी मामले में जांच रिपोर्ट के लिए मांगी गई थी रिश्वत

जिले के मथुरापुर ओपी प्रभारी संजय कुमार सिंह और वारिसनगर अंचलाधिकारी संतोष कुमार को निगरानी अन्वेषण टीम द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया जाना व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है। इससे एक ओर जहां पुलिस-प्रशासन की बदनामी हुई वहीं प्रशासन के प्रति आमलोगों का विश्वास कम पड़ता दिखाई दे रहा है। पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों को चाहिए कि पुलिस व प्रशासन के खिलाफ सभी मामलों में पूरी गंभीरता से जांच करें और दोषी पाए जाने की स्थिति में उसे किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए। ऐसे में पूरी सख्ती बरते जाने से ही कर्मियों को अनुशासित रखने में सफलता हासिल की जा सकती है। निगरानी विभाग के डीएसपी सुरेंद्र कुमार मउआर ने बताया कि वादी सुनील कुमार नायक के द्वारा दोनो पदाधिकारी के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना में शिकायत की गई थी। निगरानी विभाग पटना के द्वारा गठित दो टीम गठित की गई थी। इसमें एक टीम का नेतृत्व स्वयं डीएसपी विकास कुमार श्रीवास्तव कर रहे थे। वहीं दूसरी टीम का नेतृत्व डीएसपी राजेन्द्र प्रसाद कर रहे थे। छापेमारी दल में निगरानी टीम के नीलाभ कृष्ण, इंस्पेक्टर सुशील कुमार यादव, सत्येंद्र राम, नजीमुद्दीन, अरुणोदय पांडे, इंस्पेक्टर ईश्वर प्रसाद, जहांगीर अंसारी, श्याम बाबू प्रसाद शामिल रहे।

-----------------------------------------------------

अधिक धन कमाने की हवस में चढ़ गए निगरानी के हत्थे

सरकार भले ही रिश्वतखोरी को लेकर सख्त है। लेकिन, धड़ल्ले से आमजनों की गाढ़ी कमाई को सुविधा शुल्क के रूप में वसूला जा रहा है। जिले में अबतक इसके कई प्रमाण भी सार्वजनिक हो चुके हैं। इसमें पूर्व से कई भ्रष्ट अधिकारियों को निगरानी गिरफ्तार कर चुकी है वहीं कई को उनकी निगाहें तलाश भी रही है। भ्रष्टाचार के आरोप में जिले के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से लेकर लिपिक तक निगरानी के शिकार हो चुके हैं। इस बार निगरानी विभाग की टीम ने वारिसनगर सीओ संतोष कुमार को 20 हजार रुपये और मथुरापुर ओपी प्रभारी संजय कुमार को 25 हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़ा है। संतोष और संजय न पहले घूसखोर अधिकारी है न अंतिम। वर्ष 2006 में भी आंगनबाड़ी सेविका बहाली के लिए रिश्वत लेते हुए तत्कालीन सीडीपीओ मंजू कुमारी को निगरानी विभाग की टीम ने समस्तीपुर स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था। निगरानी की सक्रियता ने रिश्वतखोर अधिकारी व कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। ----------------------------------------

निगरानी की जद में आए अधिकारी व कर्मचारी

केस वन : वर्ष 2021 के 8 सितंबर को विद्युत आपूर्ति प्रशाखा अधीक्षण अभियंता कार्यालय में पदस्थापित कनीय अभियंता शहरी राजू रजक को 12 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। केस टू : वर्ष 2021 के 9 सितंबर को मोरवा अंचल निरीक्षण सह राजस्व कर्मचारी दयाशंकर प्रसाद को 50 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया।

केस थ्री : वर्ष 2021 के 24 मार्च को बिथान प्रखंड में पदस्थापित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) संजय कुमार को रिश्वत में दस हजार रुपये लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। केस फोर : वर्ष 2018 के 18 अप्रैल को सरायरंजन अंचल के पूर्व नाजिर और उच्च वर्गीय लिपिक प्रभाकर कुमार सिंह को 8 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया। केस फाइव : वर्ष 2018 में शिवाजीनगर के बीडीओ को इंदिरा आवास के नाम पर लाभार्थी से रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। केस सिक्स : वर्ष 2016 में विभुतिपुर थाना में पदस्थापित सब इंस्पेक्टर दिनेश सिंह को अभियुक्त से रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया।

chat bot
आपका साथी