टॉनी को मिला वफादारी का सम्मान, फिर याद आई 'तेरी मेहरबानियां'

इंसान और कुत्तों के बीच प्रेम का उदाहरण आपने कई बार देखा होगा। साथ ही ऐसी कई कहानियां भी सुनी होगी। कुत्तों और इंसान को लेकर कई फिल्में भी बन चुकी हैं। बॉलीवुड में ही सन 1985 में एक मूवी तेरी मेहरबानियां आई थी। जिसमें जैकी श्रॉफ और पूनम ढिल्लो मुख्य किरदार में थे। इसमें कुत्ते और इंसान की मोहब्बत को बखूबी दिखाया गया है। ऐसे ही प्रेम का उदाहरण विद्यापतिनगर प्रखंड की शेरपुर ढेपुरा पंचायत के शेरपुर दियारा गांव में देखने को मिला। जहां निकली एक अनोखी शव यात्रा ने बरबस ही मानवीय संवेदनाओं को संबल प्रदान किया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:10 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:10 PM (IST)
टॉनी को मिला वफादारी का सम्मान, फिर याद आई 'तेरी मेहरबानियां'
टॉनी को मिला वफादारी का सम्मान, फिर याद आई 'तेरी मेहरबानियां'

समस्तीपुर । इंसान और कुत्तों के बीच प्रेम का उदाहरण आपने कई बार देखा होगा। साथ ही ऐसी कई कहानियां भी सुनी होगी। कुत्तों और इंसान को लेकर कई फिल्में भी बन चुकी हैं। बॉलीवुड में ही सन 1985 में एक मूवी 'तेरी मेहरबानियां' आई थी। जिसमें जैकी श्रॉफ और पूनम ढिल्लो मुख्य किरदार में थे। इसमें कुत्ते और इंसान की मोहब्बत को बखूबी दिखाया गया है। ऐसे ही प्रेम का उदाहरण विद्यापतिनगर प्रखंड की शेरपुर ढेपुरा पंचायत के शेरपुर दियारा गांव में देखने को मिला। जहां निकली एक अनोखी शव यात्रा ने बरबस ही मानवीय संवेदनाओं को संबल प्रदान किया है।

शेरपुर ढेपुरा पंचायत के शेरपुर दियारा निवासी नरेश साह ने अपने कुत्ते की मौत के बाद मंगलवार को हिदू रीति-रिवाज से उसकी अंतिम विदाई कर पशु-प्रेम की अनूठी मिसाल पेश की है। बैंड-बाजों की धुन के बीच टॉनी की शवयात्रा में चलते लोगों की आंखें जहां नम थीं, वहीं हर कोई एक मालिक द्वारा कुत्ते की वफादारी में मरणोपरांत दिए जा रहे सम्मान के कायल हो रहे थे।

सोनपुर मेला से 12 साल पहले टॉनी को अपने घर लाए थे नरेश

पेशे से ग्रामीण चिकित्सक नरेश कुमार साह बताते हैं कि करीब 12 साल पहले सोनपुर मेला से एक विदेशी नस्ल का कुत्ता खरीद कर लाया था। बचपन से ही उसे बड़े लार-प्यार से पाल रखा था। घर के सदस्यों सरीखा रहने वाला टॉनी आसपास के लोगों की आंखों का भी तारा था। टॉनी की मौत के बाद हम सबने मिलकर उसे ऐसी विदाई देने की सोची, जो लोगों के लिए प्रेरणा बन सके। जिस तरह से आदमी की मौत पर अंतिम यात्रा निकाली जाती है। उसी तरह टॉनी की मौत के बाद उसके लिए अर्थी बनवाई और उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई। जिसमें उससे लगाव रखने वाले बहुतेरे लोग शामिल हो उसे अंतिम विदाई दी। गंगा की सहायक वाया नदी के किनारे जिस जगह टॉनी को दफनाया गया है, वहां अलग-अलग प्रजाति के काफी सारे पौधे भी लगाए जाएंगे। उस जगह उसकी याद में टॉनी स्मृति स्मारक भी बनाया जाएगा। तेरहवीं का भोज भी आयोजित होगा।

वे कहते हैं कि टॉनी मेरे लिए सिर्फ कुत्ता नहीं, बल्कि हमारे घर-टोला का रक्षक भी था। वह हम सभी के जिदगी का एक हिस्सा था, जिसने पूरी वफादारी और ईमानदारी से अपनी जवाबदेही निभाई।

ठेले पर फूल मालाएं और साउंड सिस्टम

नरेश ने अपने कुत्ते की शव यात्रा के लिए सारे इंतजाम किए। एक ठेले पर उसका शव रखा। शव पर फूल मालाएं और कफन से कुत्ते के शव को लपेट कर रखा। साउंड सिस्टम भी ठेले पर ही लगाया। फिर क्या था, जहां-जहां से ये शव यात्रा निकली, लोग जुड़ते चले गए। नरेश ने बताया कि उसके लिए ये कुत्ता काफी भाग्यशाली था। वो कुत्ता जब से उसके घर आया था तब से घर में काफी तरक्की हुई। आज जब कुत्ता मरा तो, तेरी मेहरबानियां गाने के साथ कुत्ते की शव यात्रा निकाली गई। टॉनी के सम्मान में ग्रामीणों ने उसके शव के ऊपर फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। महिलाओं ने शव पर अबीर, गुलाल और सुगंधित इत्र लगाए। उसके लिए बांस की अर्थी बनवाई गई और बैंड-बाजे के साथ निकली शव यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। आज एक ओर जहां प्रतिदिन मानवता को शर्मसार करने वाली घटना हर रोज सामने आती रहती हैं, वहीं एक कुत्ते के मरने के बाद पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार कर उसकी वफादारी को सम्मान देना पशु-प्रेम का नायाब उदाहरण पेश कर रहा था ।

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