यहां लगा सर्पों का मेला, जगह-जगह निकाले गए विषधर

समस्तीपुर। समस्तीपुर में हर साल नागपंचमी के मौके पर सांपों का मेला लगता था। ़खासतौर पर विभूतिपुर प्रखंड के सिघिया नरहन डुमरिया खदियाही देसरी चकहबीब मुस्तफापुर शिवाजीनगर के बाघोपुर खानपुर सहित पूरे इलाके में यह मेला छोटे या बड़े स्तर पर लगता था।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 01:33 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 06:10 AM (IST)
यहां लगा सर्पों का मेला, जगह-जगह निकाले गए विषधर
यहां लगा सर्पों का मेला, जगह-जगह निकाले गए विषधर

समस्तीपुर। समस्तीपुर में हर साल नागपंचमी के मौके पर सांपों का मेला लगता था। ़खासतौर पर विभूतिपुर प्रखंड के सिघिया, नरहन, डुमरिया, खदियाही, देसरी, चकहबीब, मुस्तफापुर, शिवाजीनगर के बाघोपुर, खानपुर सहित पूरे इलाके में यह मेला छोटे या बड़े स्तर पर लगता था। पर इस बार कोरोना महामारी ने सर्पों के इस मेले को भी बंद करा दिया। वैसे पूजा अर्चना को लेकर भगतों ने इस बार भी सांपों को निकाला और पूजा की। जबकि पूर्व में मेला लगने से एक महीने पहले से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती थी। स्थानीय लोग सांप पकड़कर घरों में रखना शुरू कर देते थे और नागपंचमी के दिन वो सांप लेकर ह•ारों की संख्या में झुंड बनाकर सुबह नदी के घाट पर जाते थे। नागपंचमी से एक दिन पहले रात भर जागरण होता था। सभी लोग सांप, नाग लेकर जुटते और रात भर की पूजा अर्चना के बाद लोग सुबह जुलूस निकालते हुए नदी जाते, स्नान करके सांप या नाग को दूध लावा खिलाकर जंगल में छोड़ देते थे। बड़ा मनोरम ²श्य होता था। नागपंचमी के दिन ये लोग विषैले सांप और नाग हाथ में उठाकर ढोल-नगाड़ों के के साथ जुलूस निकालते थे।

ऐतिहासिक होता था मेला

बकौल रामदेव 1600 ई. में यहां राजा हुए राय गंगा राम। जिनकी रक्षा नाग ने की थी। इसके बाद से ही यह मेला नाग और सांप के सम्मान में लगने लगा। विषहर मेला या नागपंचमी के बारे में लोगों की धार्मिक मान्यता है कि ये सभी तरह के दुखों से ''आमजनों की रक्षा'' के लिए है।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता भूषण के मुताबिक, ''धार्मिक मान्यताओं से इतर भी यह मेला प्रकृति और हमारा संबंध म•ाबूत करने वाला है। कोरोना के कारण इस बार मेला का आयोजन नहीं हुआ इसका हमलोगों को भी दुख् है लेकिन क्या किया जाए आपदा के समय सबकुछ मान्य है।

रोसड़ा,संस: शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नाग पंचमी का त्योहार शुक्रवार को मनाया गया । तेज बारिश के बावजूद भी इस मौके पर विभिन्न विषहरी स्थान एवं गहबर में पूजा - आराधना को ले दिन भर श्रद्दालुओं का आना - जाना लगा रहा। शहर के लक्ष्मीपुर, गोलाघाट, पांचोपुर, फुलवरिया के अलावे ग्रामीण क्षेत्र के थतिया, भिरहा, गेहूंमाना आदि विषहरी मंदिर व गहबरों में श्रद्दालुओं ने माता विषहरी के प्रति श्रद्दा निवेदित करते हुए दूध - लावा चढ़ाया। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार श्रद्दालुओं की संख्या कम देखी गई। कहीं भी मेला का नजारा नहीं दिखा। शिवाजीनगर, संस : प्रखंड क्षेत्र में शुक्रवार को यह पर्व मनाया गया। प्रखंड के कांकर,कोलहट्टा,सरहिला,मलहिपाकड़,शिवराम, मधुरापुर,शिवरामा डीह आदि स्थानों पर मेला का आयोजन किया गया। वही बीस हारा देवता के भगत के द्वारा विभिन्न प्रकारों के सांपों का करतब दिखाया गया। इस अवसर पर परंपरा के अनुसार दूध लावा चढ़ाया गया।

विषधर को गले में लपेट राम चन्द्र भगत ने की पूजा अर्चना।

खानपुर, संस : नागपंचमी के अवसर पर मनवारा गांव निवासी राम चन्द्र भगत ने स्थानीय मोइन से विषधर निकालकर गहवर में पूजा अर्चना की। हालांकि लोगों की भीड़ काफी कम रही। बता दें कि 41 वर्ष पूर्व नागपंचमी से एक दिन पूर्व भगत को स्वप्न आया था तब से वे लगातार पूजा करते आ रहे हैं। लेकिन इस वर्ष कोरोना माहामारी को देखते हुए विषधर को मोइन से निकाल शांतिपूर्वक नाग देवता की पूजा अर्चना की। पूजा के दौरान लोगों का हुजूम नही हो इसके लिए थानाध्यक्ष दिल कुमार भारती, अंचल अधिकारी मो.रेयाज शाही ,एएसआई राज कुमार उमेश यादव ,एसआई अर्जुन कुमार सिंह आदि सक्रिय रहे।

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