प्रयोगशाला तो बनी पर, प्रयोगशाला सहायक का पद रिक्त

समस्तीपुर। निरंतर प्रयोग ने आदिमानव को बिल्कुल बदल दिया। रामायण में वर्णित पुष्पक विमान की काल्पनिक प्रतीत होने वाली बातों को प्रयोग ने वायुयान बनाकर सच साबित किया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 12:17 AM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 12:17 AM (IST)
प्रयोगशाला तो बनी पर, प्रयोगशाला सहायक का पद रिक्त
प्रयोगशाला तो बनी पर, प्रयोगशाला सहायक का पद रिक्त

समस्तीपुर। निरंतर प्रयोग ने आदिमानव को बिल्कुल बदल दिया। रामायण में वर्णित पुष्पक विमान की काल्पनिक प्रतीत होने वाली बातों को प्रयोग ने वायुयान बनाकर सच साबित किया है। चंदा मामा कहे जाने वाले पृथ्वी के उपग्रह चंद्रमा की जमीन पर जीवन की तलाश की जा रही है। प्रयोग ने कई ऐसी चीजें खोज निकाली, जो शायद अकल्पनीय हीं रहा होगा। मगर, प्रखंड के राजकीयकृत रघुनंदन सेठ उच्च विद्यालय सिघियाघाट में प्रयोग को उड़ान देने के लिए प्रयोगशाला तो बनी। लेकिन, इसका नियमित इस्तेमाल छात्रों के लिए नहीं हो पा रहा है। यहां कुल 1189 छात्र-छात्राएं नामांकित है। नौवीं कक्षा के चार सेक्शन में 276, दसवीं कक्षा के छह सेक्शन में 412, ग्यारहवीं कक्षा में विज्ञान संकाय में 130 व बारहवीं कक्षा में विज्ञान संकाय में 131 छात्र नामांकित हैं। इसमें 949 छात्रों को लैब से जुड़े होने की बातें बताई जाती है। प्रयोगशाला शिक्षक की भूमिका का निर्वहन विज्ञान शिक्षिका गिरीमाला कुमारी कर रही। जबकि, प्रयोगशाला सहायक का पद रिक्त हैं। असुविधाओं के दंश में लैब हांफ रहा। नियमित प्रयोग कक्ष का संचालन नहीं होना यह कई दावों को झूठा साबित करने के लिए काफी है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के विज्ञान विद्यार्थी प्रायोगिक चीजों व नॉलेज से वंचित हो रहे हैं। इस विद्यालय की प्रतिष्ठा कई मायने में सबसे अलग रही है। मेधावियों की एक लंबी श्रृंखला यहां तैयार हुई है। इस विद्यालय से पढ़ाई कर निकले हुए छात्र राजनीति, प्रशासनिक सेवा जैसे कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की है। विद्यालय के एचएम दिनेश सहनी की मानें तो विद्यालय के लैब नियमित रूप से संचालित किए जाते हैं। विज्ञान शिक्षिका द्वारा जरूरी प्रयोग भी कराया जा रहा है।

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कहती हैं छात्राएं

फोटो : 26 एसएएम 36

विद्यालय में प्रयोगशाला का होना अत्यावश्यक होता है। इसे सरकार ने सैद्धांतिक विज्ञान विषय से जोड़ा है। मगर, प्रयोगशाला सहायक के नहीं होने और विज्ञान शिक्षिका द्वारा प्रयोग कराए जाने की बातें बहुत कुछ बयां कर रही।

- पल्लवी कुमारी छात्रा फोटो : 26 एसएएम 37

विद्यालय में प्रयोगशाला है। मगर, कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण प्रयोग नहीं कराए जाने का मलाल है। प्रयोग से सैद्धांतिक चीजें आसानी से याद हो जाती है।

- नंदनी कुमारी, छात्रा फोटो : 26 एसएएम 38

विद्यालय में प्रयोग कराया जाता है तो विज्ञान के बारीकियों और महत्वपूर्ण जानकारियों को प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है। स्कूल में नियमित वर्ग कक्षा संचालन होना चाहिए।

- शबनम कुमारी, छात्रा

फोटो : 26 एसएएम 39

असुविधाओं के दंश से अगर प्रयोगशाला मुक्त हो जाए तो आधा से अधिक पढ़ाई प्रयोग कर संभव है। बेहतर परिणाम के लिए प्रयोगशाला का नियमित संचालन अत्यावश्यक महसूस होता है।

मुस्कान कुमारी, छात्रा कोट : प्रयोगशाला का होना छात्रों के लिए बहुत हीं आवश्यक है। बिना प्रयोग किए छात्र संबंधित विषय में महारत हासिल नहीं कर सकते। कला के तीन विषयों में भूगोल, मनोविज्ञान और गृहविज्ञान तथा विज्ञान संकाय में रसायन शास्त्र, भौतिकी, जीव विज्ञान में प्रयोग कराई जाती है। इसके लिए प्रयोगशाला का सुसज्जित होना जरूरी है। उपस्कर क्रय के लिए सरकार रूपये खर्च करती है। इसलिए छात्रों के लिए संसाधन विहीन प्रयोगशाला की कोई अहमियत है।

- ललन मिश्रा, अवकाशप्राप्त प्रयोगशाला प्रभारी, डीबीकेएन कॉलेज नरहन

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