बेहाल व्यवस्था में शिक्षा की अलख जगाते शिक्षक

कहने को मध्य विद्यालय को सरकार ने अपग्रेड कर उच्च विद्यालय में तब्दील कर दिया है परंतु व्यवस्था के नाम पर कोई भी अपग्रेडेशन नही हुआ है। अब इस व्यवस्था में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नही तो और क्या है ? ना तो उच्च विद्यालय स्तरीय शिक्षकों की पदस्थापना की गई है और न ही कम्प्यूटर लैब तथा कमरे की व्यवस्था।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 01:42 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 01:42 AM (IST)
बेहाल व्यवस्था में शिक्षा की अलख जगाते शिक्षक
बेहाल व्यवस्था में शिक्षा की अलख जगाते शिक्षक

समस्तीपुर । कहने को मध्य विद्यालय को सरकार ने अपग्रेड कर उच्च विद्यालय में तब्दील कर दिया है, परंतु व्यवस्था के नाम पर कोई भी अपग्रेडेशन नही हुआ है। अब इस व्यवस्था में बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नही तो और क्या है ? ना तो उच्च विद्यालय स्तरीय शिक्षकों की पदस्थापना की गई है और न ही कम्प्यूटर, लैब तथा कमरे की व्यवस्था। यह हाल देखने को मिला वारिसनगर प्रखंड के कन्या मध्य विद्यालय रोहुआ के अपग्रेडेशन के बाद उच्च माध्यमिक विद्यालय रोहुआ पश्चिमी का। ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड के तहत जब जागरण की टीम पड़ताल करने के लिए स्कूल पर पहुंची।

दोपहर के लगभग 12 बज रहे थे। विद्यालय परिसर के अंदर सात शिक्षक-शिक्षिका अपने-अपने कक्ष व बरामदा पर जूनियर वर्ग के छात्र-छात्राओं को पढा रहे थे। प्रधानाध्यापक के बारे मे पूछने पर बताया गया कि वह उपर के कमरे में वर्ग नौ के छात्रों को पढा रहे हैं। उपर जाने पर प्रधानाध्यापक देवेन्द्र पासवान को ' टिप्स ऑन प्रोनाउनसीएसन एंड स्पोकेन इंग्लिश ' पढाते देख बच्चों से कुछ प्रश्न पूछा तो पढाने में एचएम की निष्ठा सामने आयी।

प्रश्न : भॉवेल कितने होते हैं ?

मुस्कान कुमारी : पांच ।

प्रश्न : कौन-कौन ?

सुबोध कुमार : ए, ई, आइ, ओ तथा यू ।

प्रश्न : सी का उच्चारण क्या-क्या होता है ?

प्रशांत कुमार निरंजन : क और स।

प्रश्न : सी का उच्चारण कहां क होता है ?

अमन कुमार : सी के बाद भॉवेल ए, ओ तथा यू आता है तब सी का उच्चारण क होता है।

प्रश्न : सी का उच्चारण कहां स होता है ?

निशा कुमारी : सी के बाद भॉवेल ई तथा आइ आता है तब सी का उच्चारण स होता है।

विद्यालय भ्रमण के दौरान पाया कि चार कमरे की स्थिति कुछ ठीक-ठाक है। वहीं 3 जर्जर भवन में कक्षाएं चल रही थी जो कभी भी भयंकर हादसे का सबब बन सकती है। वही वर्षो से ध्वस्त दो कमरे सरकारी व्यवस्था को दर्शाने के लिए काफी है।

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