पूर्ण टीकाकरण में लक्ष्य प्राप्ति को बनी रणनीति

स्वास्थ्य विभाग पूर्ण टीकाकरण के शत प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कृत संकल्पित है। इसी क्रम में टीकाकरण का गुणवत्तापूर्ण आच्छादन को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक सप्ताह सिविल सर्जन की अध्यक्षता में सोमवार को जिला स्तर पर साप्ताहिक समीक्षा बैठक होगी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 11:09 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 11:09 PM (IST)
पूर्ण टीकाकरण में लक्ष्य प्राप्ति को बनी रणनीति
पूर्ण टीकाकरण में लक्ष्य प्राप्ति को बनी रणनीति

समस्तीपुर । स्वास्थ्य विभाग पूर्ण टीकाकरण के शत प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कृत संकल्पित है। इसी क्रम में टीकाकरण का गुणवत्तापूर्ण आच्छादन को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक सप्ताह सिविल सर्जन की अध्यक्षता में सोमवार को जिला स्तर पर साप्ताहिक समीक्षा बैठक होगी। प्रत्येक मंगलवार को प्रखंड स्तरीय समीक्षा बैठक चिकित्सा पदाधिकारी की अध्यक्षता में होगी। अपर निदेशक (प्रतिरक्षण) सह राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. नरेंद्र कुमार सिन्हा ने पत्र जारी कर सिविल सर्जन व जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है। जारी पत्र में बताया गया है प्रखंड व शहरी क्षेत्र से प्राप्त साप्ताहिक समीक्षा रिपोर्ट एवं जिला स्तर पर पदाधिकारी एवं सहयोगी संस्थानों के प्रतिनिधि द्वारा सत्र परीक्षण के आधार पर जिला स्तरीय साप्ताहिक समीक्षा बैठक की जाएगी। जिला एवं प्रखंड स्तरीय साप्ताहिक बैठक के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति से उपलब्ध कराए गए प्रपत्र एवं राज्य स्वास्थ्य समिति के पोर्टल पर संशोधन किया गया है, जिसे पत्र के साथ भेजा गया है। प्रत्येक सोमवार को होगी समीक्षा बैठक

जिले में पूर्ण टीकाकरण के शत प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रत्येक सोमवार को जिला स्तर पर सिविल सर्जन की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक की जाएगी। इसमें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, डीसीएम, यूनिसेफ के एसएमसी, डब्लूएचओ के एसएमओ समेत अन्य सहयोगी संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। बैठक के बाद इसकी रिपोर्ट राज्य स्वास्थ्य समिति के पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। ये हैं जरूरी टीके

- जन्म होते ही ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी

- डेढ़ महीने बाद ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1

- ढाई महीने बाद - ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2

- साढ़े तीन महीने बाद - ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, पीसीवी-2, रोटा-3

- नौ से बारह महीने में - मिजिल्स 1, मिजिल्स रुबेला1, जेई 1, पीसीवी बूस्टर, विटामिन ए

- 16 से 24 महीने में मिजिल्स 2, मिजिल्स रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो टीकाकरण से रोग प्रतिरोधक क्षमता का होगा विकास

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सतीश कुमार सिन्हा ने बताया कि जिस बच्चे का टीकाकरण नहीं हुआ हो वह अत्यधिक बीमार हो सकता है। स्थायी रुप से अक्षम, कुपोषित और उनकी जान के लिए खतरनाक भी हो सकता है। एक बच्चा जिसे इंजेक्शन या दवा पिलाई गई हो, टीकाकृत माना जाता है। टीके बीमारियों के खिलाफ बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाते है। टीकाकरण तभी काम करता है, जब वह बीमारी के होने से पहले दिया गया हो। यहां तक कि गर्भावस्था से पहले या उसके दौरान टिटनेस का टीका न सिर्फ महिला, बल्कि उसके नवजात शिशु को उसके शुरुआती हफ्ते में टिटनेस से सुरक्षा प्रदान करता है।

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